नई दिल्ली। ऑपरेशन ब्लू स्टार की 38वीं बरसी पर कट्टरपंथी सिख संगठनों के समर्थकों ने मंगलवार को स्वर्ण मंदिर परिसर में जरनैल सिंह भिंडरावाले के पोस्टर के साथ खालिस्तान के समर्थन में नारेबाजी की। इस दौरान शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) के सांसद सिमरनजीत सिंह मान और उनके सहयोगी पूर्व सांसद ध्यान सिंह मंड भी मौजूद रहे। इस मौके पर खालसा के नेतृत्व में सैकड़ों सिख युवक खालिस्तानी झंडे और क्षतिग्रस्त अकाल तख्त की तस्वीरें लेकर खड़े हुए थे। खालिस्तान के समर्थन में उनकी नारेबाजी से पूरा स्वर्ण मंदिर का परिसर गूंज उठा। ये कार्यक्रम शांतिपूर्ण तरीके से हो, इसके लिए अमृतसर में सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए थे। अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने सिख समुदाय को अपने संदेश में कहा कि समय की मांग है कि सिख प्रचारकों और विद्वानों को सिख धर्म को बढ़ावा देने के लिए गांवों का दौरा करना चाहिए। युवाओं को समृद्ध सिख सिद्धांतों और सिख इतिहास से अवगत कराया जा सके और उन्हें अकाल तख्त के बैनर तले एकजुट किया जा सके। उन्होंने नशीली दवाओं के खतरे के मुद्दे के बारे में बात की, जिसने कई युवाओं को अपनी गिरफ्त में लिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकारें सिख समुदाय को मजबूत बनाने में कभी मदद नहीं करेंगी। जत्थेदार ने कहा कि 1984 में हुई घटनाओं के बाद भी सिख कभी डरे और घबराए नहीं, बल्कि ऐसी घटनाओं ने सिख समुदाय को मजबूत बनाया है और सिख न्याय पाने के लिए अपना संघर्ष जारी रखेंगे और सच्चाई के साथ खड़े होने से कभी नहीं डरेंगे।
इस दौरान सिखों की शीर्ष संस्था शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने गुरु ग्रंथ साहिब के गोलियों से छलनी पवित्र ‘सरूप’ (मात्रा) को प्रदर्शित किया। उस समय गर्भगृह में स्थापित सरूप को 1984 में सेना की कार्रवाई के दौरान एक गोली लगी थी। ऑपरेशन ब्लूस्टार 1984 में स्वर्ण मंदिर से उग्रवादियों को बाहर निकालने के लिए चलाया गया एक सैन्य अभियान था।