बैंक नहीं बदल रहे हैं नोट

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आरबीआई की गाइडलाइन का उल्लंघन
आम आदमी हो रहा है परेशान

देहरादून। भले ही आरबीआई द्वारा दो हजार के नोट बदलने के लिए स्पष्ट गाइडलाइन जारी की गई है लेकिन राजधानी दून से लेकर तमाम अन्य क्षेत्रों से इस तरह की खबरें आ रही है कि बिना पर्ची (फार्म) भरे कोई भी बैंक नोट बदलने को तैयार नहीं है। जो आरबीआई की गाइडलाइन का खुला उल्लंघन है।
उल्लेखनीय है की तीन—चार दिन पूर्व आरबीआई द्वारा क्लीन नोट पॉलिसी का हवाला देते हुए दो हजार के नोट की छपाई बंद करने और चलन में जारी नोटों को बदलने की घोषणा करते हुए कहा गया था कि जिन लोगों के पास दो हजार के नोट हैं वह लोग एक दिन में 10 नोट किसी भी बैंक की शाखा में जाकर 23 मई से 30 सितंबर तक बदल सकते हैं या अपने खाते में जमा करा सकते हैं। जिसके लिए उन्हें किसी पहचान पत्र या फार्म (पर्ची) भरने की जरूरत नहीं होगी। तय तारीख 23 मई से पूर्व इस गाइडलाइन को लेकर उपजे कई सवालों का जवाब देने के लिए कल आरबीआई के गवर्नर द्वारा प्रेस वार्ता भी की गई थी जिसमें उन्होंने साफ कहा था कि कोई भी व्यक्ति बिना किसी आईडी और फार्म के कल से यानी (आज) से 10 नोट बदल या जमा कर सकता है। आज जब यह प्रक्रिया शुरू हुई तो देखने में आया कि तमाम बैंक बिना फार्म भरे नोट बदलने को तैयार नहीं है उनका कहना है कि उन्हें भी बैंकिंग सिस्टम व नियमावली के अनुसार काम करना है और आरबीआई को ब्यौरा देना है कि कहां से इतने नोट वापस आए।
`दून वैली मेल’ सांध्य दैनिक के एक पत्रकार द्वारा जब इसका रियल्टी टेस्ट किया गया तो पाया कि न तो यूनियन बैंक और न जे एण्ड के बैंक और न करूर वैश्य बैंक नोट बदलने को तैयार हैं इन सभी बैंकों में नोट बदलने को कहा गया तो उन्होंने एक फार्म भरने की बात कही। बैंक कर्मियों से जब आरबीआई की गाइडलाइन की बात कही गई तो शाखा प्रबंधकों द्वारा अपनी बैंक नियमावली का हवाला देकर कहा गया कि उन्हें भी इसका जवाब देना होता है कि यह नोट कहां से आया। आरबीआई द्वारा दी गई इस व्यवस्था में कहा झोलझाल है यह तो आरबीआई ही जाने लेकिन इस प्रक्रिया में आम आदमी को फिर 2016 की नोटबंदी की तरह दिक्कतें पेश आ रही है।

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