नई दिल्ली। मन न मिले तो ऐसे रिश्ते को विवाह के नाम पर झेलना क्रूरता है। ऐसे रिश्ते को खत्म कर देना ही बेहतर और श्रेयस्कर है। 25 सालों से अलग रह रहे पति-पत्नी की शादी सुप्रीम कोर्ट ने इसी टिप्पणी के साथ भंग कर दी। यानी तलाक की अर्जी को हरी झंडी दिखा दी। अपने फैसले में अदालत ने कहा कि इतने बरसों के अलगाव के बावजूद दंपति को शादी के बंधन में बंधे रहने के लिए कहना ‘क्रूरता’ को मंज़ूरी देना है। जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने दिल्ली के इस जोड़े के विवाह को खत्म करते हुए कहा कि हमारे सामने एक ऐसा शादीशुदा जोड़ा है जो मुश्किल से चार साल तक दंपति के तौर पर एक छत के नीचे साथ साथ रहा। लेकिन संबंधों में खटास, रिश्तों में दरार और मतभेद मनभेद की वजह से पिछले 25 सालों से दोनों अलग रह रहे हैं। साथ ही उनके अनुराग का सबूत या प्रतीक उनकी कोई संतान भी नहीं है। इनका वैवाहिक बंधन पूरी तरह से टूटा हुआ और ‘मरम्मत’ से परे है। हमें इसमें कोई संदेह नहीं है कि यह रिश्ता खत्म होना चाहिए। क्योंकि इतना कुछ हो जाने के बावजूद इस जीर्ण हो चुके रिश्ते की निरंतरता को बनाए रखना ‘क्रूरता’ को मंज़ूरी देना होगा।