हादसा या जान से खिलवाड़

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बीते कल मसूरी से देहरादून आ रही रोडवेज की बस 200 फीट गहरी खाई में गिर गई। इस हादसे में एक महिला और उसकी 15 साल की बेटी की मौत हो गई बस में सवार 35 लोग घायल हो गए। जिनमें से कई की हालत गंभीर है। गनीमत रही कि यह हादसा दिन के 12 बजे हुआ और एसडीआरएफ तथा आइटीबीपी के जवान बहुत जल्द पीड़ितों की मदद के लिए पहुंच गए जिससे कई लोगों की जान बच सकी अन्यथा बड़ी जनहानि भी हो सकती थी। हर हादसे के बाद जैसे सवाल उठाए जाते हैं उन सवालों का उठना भी लाजमी है क्योंकि हर हादसे का कोई न कोई तो कारण होता ही है। इस बस में सवार लोग जिनका अब अस्पतालों में इलाज चल रहा है उनमें से अधिकांश लोग इस बस के ड्राइवर को शराब के नशे में होने की बात कह रहे हैं। वहीं कुछ लोगों का कहना है कि ड्राइवर रेस ड्राइविंग कर रहा था। दुर्घटना के समय ड्राइवर नशे में था या नहीं अब इसकी पुष्टि नहीं हो सकती है क्योंकि वह दुर्घटना के बाद ही फरार हो चुका है। लेकिन अगर हादसा उसकी गलती के कारण नहीं हुआ होता तो शायद उसे भागने की जरूरत नहीं होती। हादसे के बाद भी वह खुद को सुरक्षित रहने की दिशा में हादसे का शिकार हुए लोगों की मदद करता। पहाड़ में होने वाली इस तरह की दुर्घटनाओं में 30 फीसदी से अधिक दुर्घटनाएं वाहन चालकों के नशे में होने के कारण ही होती है, इस सच को सभी जानते हैं। भले ही रोडवेज में नौकरी करने वाले सभी ड्राइवरों के लिए ड्यूटी के दौरान शराब पीने पर पाबंदी हो लेकिन ऐसे ड्राइवरों की कमी नहीं है जो ड्यूटी पर भी शराब पीते हैं। अहम सवाल यह है कि विभागीय अधिकारी और कर्मचारी भी इनके खिलाफ कार्रवाई करने की बजाय इनका बचाओ ही करते नजर आते हैं जबकि ड्यूटी के दौरान शराब पीने वाले इन कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की जरूरत है। यात्रियों की जान से खिलवाड़ का बड़ा अपराध करने वाले इन ड्राइवरों को नौकरी पर रखना किसी भी सूरत में ठीक नहीं है। जो ड्राइवर खुद तो हादसे के समय कूदकर भाग गया क्या वह 37 लोगों की जान संकट में डालने का जिम्मेदार नहीं है यह परिवहन मंत्री और अधिकारियों के लिए मंथन का विषय है। बताया यह भी जा रहा है कि हादसे का शिकार हुई यह बस इस रूट के लिए अनुबंधित ही नहीं थी फिर इस बस को मसूरी रूट पर क्यों भेजा गया यही नहीं इस बस का बीमा न होने की बात भी सामने आ रही है अगर इस बस का बीमा नहीं था तो मृतकों व घायलों को यात्री बीमा का लाभ भी नहीं मिल सकता है। सड़क हादसा अगर किसी तकनीकी खराबी जैसे ब्रेक फेल होना या फिर टायर फट जाना आदि कारणों से होता है तो यह समझा जा सकता है, यह एक दुर्घटना थी और दुर्घटनाओं को रोका नहीं जा सकता है लेकिन अगर रैश ड्राइविंग अथवा नशें में वाहन चलाने जैसी स्थिति में अगर दुर्घटना होती है तो उसे दुर्घटना नहीं कहा जा सकता है। ऐसी स्थिति में कोई बीमा कंपनी भी क्लेम नहीं देती है। किसी भी दुर्घटना पर शोक जताना और मृतकों को तथा घायलों को मुआवजा व सहायता राशि देकर सरकार और विभाग द्वारा अपने कर्तव्य की इतिश्री कर लेना जैसे एक परंपरा बन चुकी है जो सर्वथा गलत है। हर जान की कीमत क्या होती है यह मरने वालों के परिजनों जानते हैं। अच्छा होता कि इन हादसों की रोकथाम के प्रभावी उपायों पर ज्यादा ध्यान दिया जाए।

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