भले ही अभी लोकसभा चुनाव में 400 दिन का समय शेष सही लेकिन भाजपा के बारे में जैसा कि कहा जाता है कि वह एक चुनाव के निपटते ही अगले चुनाव की तैयारी में जुट जाती है। उसने नए साल की शुरुआत के साथ ही आगामी आम चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है, भाजपा के नेता जानते हैं कि 10 साल केंद्रीय सत्ता में रहने के बाद उनके लिए यह तीसरा चुनाव सबसे ज्यादा चुनौती पूर्ण रहने वाला है। अभी बीते दिनों में दिल्ली में हुई भाजपा कार्यकारिणी की बैठक में अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा था कि इस साल 9 राज्यों के विधानसभा चुनाव होने हैं और आपको यह सभी 9 चुनाव जीतने होंगे। असल में नड्डा राज्यों के विधानसभा चुनाव जीतने की बात इसलिए कर रहे थे कि आम चुनाव से पूर्व होने वाले यह विधानसभा के चुनाव ही देश में ऐसी चुनावी हवा और माहौल तैयार करने वाले हैं जो 2024 के लोकसभा चुनाव की दिशा और दशा तय करेंगे। जिन 9 राज्यों में इस साल चुनाव होने हैं उनमें मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, कर्नाटका, तेलंागना, त्रिपुरा, मेघालय, नागालैंड और आसाम शामिल है। इनमें से तीन राज्य मध्य प्रदेश, कर्नाटका और त्रिपुरा ऐसे राज्य हैं जहां भाजपा की सरकारें हैं जबकि राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार है शेष चार राज्यों में गठबंधन सहयोगी भाजपा है। अभी बीते साल के अंत में जिन राज्यों में चुनाव हुए उनमें से गुजरात में भाजपा ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी तथा लगातार नौवीं बार सत्ता में अपना कब्जा बरकरार रखा था। लेकिन भाजपा जो कांग्रेस मुक्त भारत की बात करती आई है हिमाचल में कोई करिश्मा नहीं कर सकी और यहंा कांग्रेस अपनी सरकार बनाने में सफल रही थी। इसमें कोई संदेह नहीं है कि इस साल जिन 9 राज्यों में चुनाव होने हैं वह 2024 के लोकसभा चुनाव की प्री परीक्षा होगी। इन 9 राज्यों में किस राजनीतिक दल को कितनी सफलता मिलती है यह समय ही बताएगा लेकिन यह सच है कि इन राज्यों में होने वाले चुनावों से ही 2024 का भविष्य लिखा जाना है यही कारण है कि अब भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पूरा फोकस एक साल तक इन 9 राज्यों पर ही रहेगा। जिसकी शुरुआत प्रधानमंत्री मोदी अपने कर्नाटक दौरे से कर चुके हैं। जिसके दौरान वह 10 हजार करोड़ की योजनाओं की सौगात देकर आए हैं। भाजपा को क्या करना है उसने न सिर्फ इसका रोड मैप तैयार कर लिया है बल्कि अभी से उस पर काम भी शुरू कर दिया है। जेपी नड्डा का कार्यकाल 2024 तक बढ़ाया जाना इसी रणनीति का हिस्सा है कि अब आम चुनाव तक संगठन स्तर तक कोई बड़ा बदलाव नहीं किया जाएगा। क्योंकि पीएम मोदी के चेहरे पर ही चुनाव लड़ा जाना है इसलिए उनकी बड़ी उपलब्धियों जिसमें जी—20 का नेतृत्व भी शामिल है आम जनता तक पहुंचाने की जिम्मेवारी अभी से कार्यकर्ताओं को सौंप दी गई है। भाजपा के लिए बिखरा विपक्ष और मोदी की लोकप्रियता दो ऐसे बड़े कारक हैं जो किसी संजीवनी से कम नहीं है वहीं बीते 10 सालों में भाजपा का सांगठनिक ढांचा पहले से कई गुना मजबूत हो चुका है जिसका मुकाबला कोई विपक्षी दल नहीं कर सकता है। यह अलग बात है कि विपक्षी दल भी एकता के लिए एड़ी चोटी का प्रयास करने में जुटे हैं लेकिन सपा और बसपा जैसे दल कांग्रेस के साथ आने से साफ इनकार कर चुके हैं जिससे उनकी राह आसान नहीं दिख रही है जिसका अर्थ भाजपा की राह को आसान बनाना ही होता है।