राजधानी दिल्ली के जंतर मंतर पर देश की अंतरराष्ट्रीय पदक विजेता महिला पहलवानों द्वारा अपने यौन शोषण के मुद्दे को लेकर जो धरना प्रदर्शन बीते 3 दिनों से किया जा रहा है वह भारत जैसे देश को शर्मसार करने वाली बात है आज देश के लोग ही नहीं बल्कि अन्य देशों के लोगों की निगाहें भी इस पर लगी हैं। ऐसा नहीं है कि यह महिला खिलाड़ी इन आरोपों के साथ सीधे जंतर मंतर पर धरना प्रदर्शन करने पहुंच गई होंगी। खेल संघ में बैठे पदाधिकारियों और खेल मंत्रालय को इन खिलाड़ियों द्वारा अपनी समस्या जरूर बताई गई होगी अगर इनकी समस्या पर पहले ही किसी ने सुनवाई कर ली होती तो स्थिति यहां तक नहीं पहुंचती कि यह महिला खिलाड़ी जंतर—मंतर से इतने गंभीर आरोप सरेआम लगा रही हों कि उनके पास ऐसे पांच—छह मामलों के पुख्ता सबूत है। भले ही भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण द्वारा अपने ऊपर लगे आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने से इंकार कर दिया गया हो और वह बड़ी बेशर्मी के साथ यह कह रहे हो कि अगर उनका शारीरिक और यौन शोषण हो रहा था तो उन्होंने उस वक्त क्यों आवाज नहीं उठाई जब ऐसा हो रहा था, लेकिन अगर इतनी बड़ी संख्या में महिला रेसलर इन आरोपों को लेकर आर—पार की लड़ाई पर उतर आई हैं तो उनके आरोपों को बेबुनियाद नहीं कहा जा सकता है और अब इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच की ही जानी चाहिए। खेल संघों की राजनीति से हम सभी अच्छी तरह से वाकिफ है भले ही निष्पक्षता के लाख दावे किए जाते रहे हो लेकिन बृजभूषण पिछले 11 सालों से कुश्ती संघ के अध्यक्ष की कुर्सी पर अगर कुंडली मारे बैठे हैं और उन्हें कोई भी हिला नहीं सका तो इसके राजनीतिक कारणों को भी आसानी से समझा जा सकता है अब केंद्रीय खेल मंत्री भी कह रहे हैं कि महिला खिलाड़ियों के आरोप गंभीर हैं और उनकी जांच होनी चाहिए। सवाल यह भी है कि वह अब तक कहां थे? अब तक इस मुद्दे को लेकर सभी गूंगे बहरे और अंधे क्यों बने रहे? यह एक बड़ा सवाल है। जब मामला इस कदर विस्फोटक हो गया है कि कुश्ती के अखाड़े में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अनेक पदक दिला चुकी हरियाणा की बेटियों के समर्थन में कई खाप पंचायतें जंतर मंतर का रुख कर चुकी हैं व धरना प्रदर्शन करने वाली महिला पहलवानों ने लकीर खींच दी है कि जब तक बृजभूषण इस्तीफा नहीं देंगे और उनके खिलाफ मामला दर्ज नहीं होगा वह जंतर—मंतर से नहीं हिलने वाली है। बृजभूषण कभी अमित शाह के सामने अपनी सफाईयंा पेश कर रहे हैं तो कभी मीडिया के सामने अपना पक्ष रखने की बात कर रहे हैं तथा महिलाओं की मान मर्यादा से जुड़े इस मुद्दे पर दुनियाभर के देशों में छीछलेदरी हो रही है तो अब इस पर लीपापोती कतई भी नहीं की जानी चाहिए खेल और खिलाड़ियों की समय—समय पर पीठ थपथपाने वाले प्रधानमंत्री मोदी को खुद इस मुद्दे पर संज्ञान लेने की जरूरत है तथा खेल संघों का ओवरहालिंग कैसे हो सकता है इस पर विचार करने की जरूरत है।