संक्रमण का बढ़ता खतरा

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एक दिन में कोरोना संक्रमण दर में अगर 30 फीसदी की बढ़ोतरी होती है तो वह निश्चित ही चिंताजनक है। शुक्रवार को देश में 17386 नए संक्रमित मिलने से सक्रिय मरीजों की संख्या अब 90 हजार के पास पहुंच चुकी है। तथा संक्रमण दर भी 4.32 फीसदी हो गई है बात अगर देश की राजधानी दिल्ली की करें तो यहां संक्रमण की दर 8 फीसदी से भी ऊपर पहुंच गई है। हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना की चौथी लहर को लेकर विशेष चिंतित होने की जरूरत नहीं है लेकिन कोरोना की तीन लहरों के दौरान यही देखा गया है कि संक्रमण की दर में एक साथ उछाल आने के बाद ही स्थितियां खराब हुई है बात अगर 28 फरवरी 2022 की ही करें तो इस दिन 19 हजार से अधिक मामले सामने आए थे जबकि इससे एक दिन पहले सिर्फ 12 हजार केस आए थे। पहली और दूसरी लहर के दौरान जो अत्यंत ही खतरनाक स्थितियां हम देख चुके हैं उन्हें भुलाया नहीं जा सकता है। यह सच है कि देश में चले वैक्सीन ड्राइव के कारण तीसरी लहर में देश और समाज को वैसी स्थितियंा नहीं झेलनी पड़ी जैसी पहली और दूसरी लहर के दौरान हमने देखी थी। आज अगर विशेषज्ञ इस बात को कह रहे हैं कि चौथी लहर को लेकर अधिक चिंता की जरूरत नहीं है तो वह वैक्सीन के कारण ही कह पा रहे हैं। लेकिन एक बात हमें किसी भी सूरत में नहीं भूलनी चाहिए कि कोरोना देश और दुनिया से समाप्त नहीं हुआ है। वहीं दूसरी महत्वपूर्ण बात यह है कि भले ही वैक्सीन के कारण मानव शरीर में बनने वाली एंटीबॉडी के कारण कोरोना संक्रमण का असर उतना प्रभावी न रहा हाें लेकिन यह भी सच है कि कोरोना के टीके का असर दीर्घकाल तक नहीं रहता है। देश और दुनिया में वैक्सीनेशन के बाद भी कोरोना संक्रमण की चपेट में लोग आते रहे हैं। भले ही एक समय में यह लग रहा हो कि कोरोना वायरस समाप्त हो जाएगा लेकिन बीते ढाई तीन साल में यह साबित हो चुका है कि इस कोरोना वायरस से मानव समाज को आसानी से मुक्ति मिलने वाली नहीं है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बीते एक साल से यह बात कह रहे हैं कि अब हमें कोरोना के साथ जीने की आदत डालनी होगी दरअसल जब कोरोना संक्रमण की दर कम हो जाती है तो हम भी इसे लेकर लापरवाह हो जाते हैं न मास्क पहनने की जरूरत समझते हैं और न सैनिटाइजेशन को तवज्जो देते हैं। तथा सोशल डिस्टेंस की पूरी तरह से भूल ही जाते हैं। यही कारण है कि संक्रमण धीरे—धीरे फैलता रहता है और फिर विस्फोटक रूप धारण कर लेता है। हालांकि अभी भी शासन—प्रशासन के स्तर पर अभी कुछ एहतियात बरतना जरूरी है लेकिन इन्हें लेकर किसी तरह की कोई सख्ती नहीं बरती जा रही है। विश्व के कई देशों में अभी भी कोरोना खतरनाक स्थिति में है। भारत में भी इसका खतरा बरकरार बना हुआ है इसलिए यह जरूरी है कि कोई लापरवाही न बरती जाए जिससे स्थिति फिर से बिगड़ जाए।

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