अपने अद्भुत प्राकृतिक सौंदर्य के कारण ही पहाड़ इंसान के आकर्षण का केंद्र रहते हैं। बात चाहे पर्यटन की हो या फिर ट्रैकिंग की और आई स्क्रीनिंग जैसे खेलों की, लाखों—करोड़ों लोग हर साल पहाड़ों का रुख करते हैं। स्वच्छ पर्यावरण के जरिए मानव समाज को प्राणवायु देने वाले पहाड़ और जंगलों की सुरक्षा और संरक्षण का उत्तरदायित्व भी समझना जरूरी है। सवाल यह है कि क्या हम अपने इस उत्तरदायित्व को लेकर सजग हैं? इसका सच जानना है तो चार धाम यात्रा पर जाकर देखा जा सकता है। केदारधाम से लेकर अन्य सभी धामों में चारों ओर कूड़े—कचरे के ढेर देखकर आप हैरान रह जाएंगे। कूड़े—कचरे के ढेरों को देखकर प्रधानमंत्री मोदी हैरान—परेशान हैं और वैज्ञानिक भी चिंतित है क्योंकि हालात इतने गंभीर हैं कि इसके निष्पादन का कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा है। अभी चारधाम यात्रा को शुरू हुए एक माह भी नहीं हुआ है लेकिन यात्रा मार्गों पर सड़क के दोनों ओर गंदगी का इस कदर अंबार लग चुका है कि अब इन रास्तों पर पैदल चल पाना भी श्रद्धालुओं के लिए मुश्किल होता जा रहा है। अभी तक 12 लाख से अधिक यात्री धामों में पहुंच चुके हैं। हर यात्री औसतन चार पांच किलो कचरा इन मार्गाे पर छोड़ कर आ रहा है पानी की बोतलें और प्लास्टिक के थ्ौलों से लेकर घोड़े—खच्चरों के सैकड़ों शव यहां पड़े देखे जा सकते हैं। करोड़ों टन कचरे को उठाना और उसका निष्पादन किया जाना कितनी बड़ी समस्या है? इसे सहज समझा जा सकता है। भले ही उन लोगों को जो एक—दो किलो कचरा यहां फेंक कर यह समझते हैं कि इससे क्या फर्क पड़ता है लेकिन समग्र रूप से यह समस्या कितनी बड़ी है इसे खुद यात्रियों को भी समझने की जरूरत है। क्योंकि चार धामों में जो कूड़े—कचरे का अंबार लगा है वह किसी और ने नहीं लगाया है बल्कि चार धाम यात्रा पर आने वाले यात्रियों ने ही लगाया है। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने मन की बात में कल इस पर जो चिंता जताई है उसके मायने समझने की जरूरत हर एक पर्यटक को है। प्रधानमंत्री मोदी ने उत्तराखंड के जिन तीन लोगों के नाम पर्यावरण की सुरक्षा के लिए काम करने वालों के तौर पर लिए गए हैं वहीं नहीं अन्य तमाम पर्यावरणविद व समाजसेवी इस काम में लगे हैं लेकिन अगर गंदगी फैलाने वाले करोड़ों और लाखों लोगं और साफ—सफाई का ख्याल रखने वाले 100—200 तो ऐसे में भला क्या सफाई रखी जा सकती है। बीते दिनों ओली में एक प्रवासी भारतीय परिवार गुप्ता बंधुओं ने शादी का आयोजन किया था जो वहां कचरा छोड़ कर चलते बने थे यह मामला न्यायालय तक पहुंचा था। क्या यह अच्छा होगा कि चार धाम में कचरा फैलाने वालों को कानूनी तौर पर दंडित करने का प्रावधान किया जाए? अच्छा हो कि चारधाम यात्री यहां कचरा फैलाने की बजाय यात्रा से वापसी के समय कचरा सफाई में अपनी सहभागिता सुनिश्चित करें। पहाड़ों पर कचरा अगर इसी गति से जमा होता रहा तो चार धाम यात्रा मार्ग की दुश्वारियां और भी बढ़ जाएगी और 2013 जैसी आपदा का कारण बनेगी। भगवान के धामों को गंदा करके आए, क्या पुण्य कमा रहे हैं यह भी चिंतनीय है।