डेढ़ साल बाद स्कूल पहुंच कर चहके बच्चे

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school open after 1.5 year for class 1 to 5

कोविड—19 के चलते मार्च माह से बंद थे स्कूल
कक्षा छह से ऊपर की कक्षाएं पहले ही खोली जा चुकी हैं

देहरादून। कोविड—19 के चलते मार्च 2020 में बंद हुए स्कूलों में आज से प्राइमरी कक्षाएं भी खोल दी गई हैं। उत्तराखंड में लगभग डेढ़ साल बाद आज कक्षा 1 से कक्षा 5 तक के स्कूल खुल गए हैं। कक्षा 6 से ऊपर तक की कक्षाओं के बच्चों के लिए तो स्कूल—कॉलेज पहले ही खोल दिए गए थे, लेकिन प्राथमिक विघालय अभी तक बंद ही थे।
अब परिस्थितियां सामान्य होने के बाद जब आज से प्राईमरी कक्षाओं के छात्र भी स्कूल पहुंचे तो उनके चेहरों पर खुशी देखते ही बन रही थी। कुछ बच्चे तो चहकते हुए अपनी कक्षाओं की ओर दौड़ पड़े तो कुछ बच्चे इतनी लंबी छुट्टियों के बाद भी स्कूल आने के लिए तैयार नजर नहीं आ रहे थे।
आज से प्राथमिक विघालयों को कोविड—19 गाइडलाइन का पालन करने के सख्त निर्देशों के साथ खोला गया है। स्कूल आने वाले छात्र—छात्राओं को मास्क पहनकर ही विघालय में प्रवेश दिया जा रहा है। स्कूल के मुख्य गेट पर ही थर्मल स्क्रीनिंग, हैंड सैनिटाइजेशन की व्यवस्था की गई है और सोशल डिस्टेंसिंग का भी विशेष ख्याल रखा जा रहा है। क्लास रूम में बैठने की व्यवस्था सोशल डिस्टेंसिंग को ध्यान में रखते हुए की गई है।
वहीं अभिभावकों में अपने बच्चों को लेकर चिंताएं तो हैं लेकिन उनकी पढ़ाई को देखते हुए बच्चों को स्कूल भेजना जरूरी भी मान रहे हैं। फिर भी सरकार द्वारा जारी की गई गाइडलाइन को देखते हुए बच्चों को स्कूल भेजने को लेकर आश्वस्त नजर आ रहे हैं। स्कूलों द्वारा अभिभावकों से सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करवाने के बाद ही छात्रों को स्कूल में आने दिया जा रहा है। सरकार की ओर से यह स्पष्ट कहा गया है कि स्कूल प्रबंधन छात्रों पर स्कूल आने के लिए किसी भी प्रकार का दबाव नहीं बनाएंगे। घर से पढ़ने के इच्छुक छात्रों के लिए ऑनलाइन पढ़ाई की व्यवस्था जारी रहेगी।
प्राथमिक कक्षाओं का सरकारी स्कूलों में आज से पढ़ाई शुरू हो गई है कि जबकि प्राइवेट स्कूल बहुत कम ही खुले हैं। इन स्कूलों द्वारा फिलहाल परिजनों से सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करवाने के साथ ही स्कूल में व्यवस्थाएं बनाने की तैयारी चल रही हैं। अभिभावकों के सामने बच्चों की फीस से लेकर ट्रांसपोर्ट तक की समस्या है जिसके चलते फिलहाल अधिकांश अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल भेजने से कतरा रहे हैंं। वहीं कोविड की संभावित तीसरी लहर का डर भी अभिभावकों में है जिसके चलते फिलहाल अभिभावक बच्चों को स्कूल भेजने के लिए तैयार नहीं हैं।

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