दून में कोवीशील्ड खत्म, निराश लौटे लोग

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देहरादून। कोविड वैक्सीन के लिए दून में मारामारी हो रही है। निजी अस्पतालों में वैक्सीन की कोई कमी नहीं है लेकिन सरकारी अस्पतालों में लोग वैक्सीन के लिए चक्कर लगा कर निराश वापस लौट रहे हैं। आज दून अस्पताल की नई ओपीडी में कोवीशील्ड की वैक्सीन खत्म होने से लोगों को बैरंग लौटना पड़ा।
कोरोना संक्रमण से बचाव को वैक्सीनेशन का वृहद अभियान चलाये जाने का दावा प्रदेश सरकार कर रही है। लेकिन अब हालात यह हैं कि वैक्सीन मिल ही नहीं रही है। 45 प्लस में जिन लोगों को 84 दिन पहले कोवीशील्ड की एक डोज लग चुकी है अब 84 दिन से ऊपर होने के बाद भी उनको दूसरी डोज मुहैया ही नहीं हो पा रही है। एक तो सरकारी अस्पतालों या स्वास्थ्य केंद्रों में वैक्सीन है ही नहीं। दूसरा कारण बुजुर्गों के लिए भी रजिस्ट्रेशन और स्लॉट बुक करने का झंझट। वैसे तो दावा किया जा रहा है कि बुजुर्गों के लिए इस तरह की कोई जरूरत नहीं है लेकिन जब ये लोग वैक्सीन की दूसरी डोज लगवाने के लिए अस्पताल पहुंच रहे हैं तो वहां पर उनकेा रजिस्ट्रेशन न होने पर खाली हाथ ही लौटाया जा रहा है। पेड वैक्सीन के स्लॉट खाली हैं लेकिन सरकारी सेंटरों पर वैक्सीन ही नहीं है तो स्लॉट कैसे मिलेंगे।
सबसे ज्यादा मुश्किलें उनको हो रही है जिनको शिविरों में पहली डोज लगाई गई थी। अब दूसरी डोज के लिए शिविर लगाया नहीं गया और सेंटरों में वैक्सीन है नहीं। जब वैक्सीन आती है तो स्लॉट बुक करने वालों का नंबर आता है लेकिन शिविरों में वैक्सीन लगवाने वालों की सुध कोई नहीं ले रहा है। पिछले दो दिनों से सरकारी सेंटरों में कोवीशील्ड की वैक्सीन नहीं हैै जिसके चलते लोगों को परेशानी उठानी पड़ रही है। यदि लेागों को पेड वैक्सीन ही लगवानी है तो सरकारी सेंटरों की व्यवस्था किसके लिए चलाई जा रही है। वैक्सीन की कमी को देखते हुए तो यही प्रतीत होता है कि सरकार भी पेड वैक्सीन लगवाने में ज्यादा रूचि ले रही है। उन्हें सीनियर सिटीजंस या युवाओं की चिंता नहीं है बल्कि सरकार और विभाग में बैठे अधिकारियों को अपनी जेबें भरने की चिंता है।

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