देहरादून। उत्तराखंड विधानसभा चुनाव किसी एक चेहरे पर नहीं लड़ा जाएगा। मुख्यमंत्री कौन होगा इसका फैसला चुनाव परिणाम आने पर आलाकमान द्वारा सभी विधायकों की राय से किया जाएगा।
यह स्पष्टीकरण आज प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव की तरफ से आया है। दरअसल चुनाव समितियों और नेता विपक्ष व नए प्रदेश अध्यक्ष के नामों की घोषणा के बाद पूर्व सीएम हरीश रावत के समर्थकों द्वारा इस बात का जोर शोर से प्रचार किया जा रहा था कि चुनाव प्रचार अभियान की बागडोर हरीश रावत को सौंपी गई है और चुनाव उनके नेतृत्व में ही हो रहा है, वही सीएम का चेहरा भी होंगे।
ऐसी स्थिति में उन सभी नेताओं का नाराज होना स्वाभाविक ही था जो सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ने की मांग कर रहे थे। खास तौर पर प्रीतम सिंह और नवप्रभात इससे खासे नाराज थे। प्रीतम सिंह ने साफ—साफ कह दिया था कि कांग्रेस किसी एक व्यत्तिQ के नेतृत्व में चुनाव नहीं लड़ेगी। चुनाव सामूहिक नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा। उनका कहना है कि हमने 2017 का चुनाव चेहरे पर लड़ कर देख लिया है क्या परिणाम हुआ था सब जानते हैं। उन्होंने कहा कि पार्टी हाईकमान का तो स्पष्ट निर्देश है की जिसे जो जिम्मेवारी मिली है वह उनका निवर्हन करेगा। तथा पार्टी किसी एक चेहरे पर चुनाव नहीं लड़ेगी। यह फैसला सभी को मानना होगा। नवप्रभात तो इस कदर नाराज थे कि उन्होंने किसी भी समिति में पद संभालने से ही मना कर दिया था। उनकी नाराजगी देखकर देवेंद्र यादव ने खुद उनसे बात की और स्थिति को स्पष्ट किया।
पार्टी के अंदर मचे घमासान की खबरें सामने आने पर देवेंद्र यादव ने सभी प्रमुख नेताओं से बात करने के बाद मीडिया को बताया कि पार्टी हाईकमान ने किसी भी व्यत्तिQ को सीएम का चेहरा घोषित नहीं किया है। चुनाव सामूहिक नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा तथा चुनाव परिणाम आने के बाद विधायकों की राय से ही हाईकमान द्वारा नेता का चुनाव किया जाएगा। नवप्रभात की नाराजगी के बारे में उन्होंने कहा कि वह पार्टी के योग्य और वरिष्ठ नेता है पार्टी को उनके अनुभवों की जरूरत है वह दो बार घोषणापत्र समिति के अध्यक्ष रह चुके हैं वह चाहते हैं कि अब यह जिम्मेवारी किसी और को दे दी जाए। वह नाराज नहीं है बस यह जिम्मेवारी नहीं संभालना चाहते हैं।