भर्तियों में भ्रष्टाचार के ट्विन टावर को सीबीआई जांच के बारूद से ढहाया जाए

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संयुक्त नागरिक संगठन ने लिखी सीएम धामी को चिट्ठी

विधानसभा में भर्तियों की सूची वायरल, कांग्रेस व भाजपा के तमाम मंत्रियों के सगे संबंधियों को दी गई नौकरियां

देहरादून। यूकेएसएसएससी पेपर लीक मामले की जांच अभी जारी है इस बीच विधानसभा में बैक डोर से हुई भर्तियों के मामले ने भी तूल पकड़ लिया है। भले ही मुख्यमंत्री धामी द्वारा सभी भर्तियों की जांच की बात कही जा रही हो लेकिन राज्य गठन 2001 से लेकर अब तक हुई तमाम भर्तियों में भाजपा और कांग्रेस के तमाम दिग्गज नेताओं व मंत्रियों के सगे संबंधियों को बैक डोर से दी गई इन नौकरियों की निष्पक्ष जांच हो सकेगी यह सवाल अभी भी सबसे अहम बना हुआ है। संयुक्त नागरिक संगठन ने इस मामले में सीएम धामी को एक चिट्ठी लिखकर भर्तियों में हुए इस भ्रष्टाचार के ट्विन टावर को सीबीआई की जांच के बारूद से ढहाने की मांग की है।
संयुक्त नागरिक संगठन के सचिव सुशील त्यागी ने मुख्यमंत्री धामी को जो पत्र लिखा है उसमें कहा गया है कि यूकेएसएसएससी के माध्यम से हुई भर्तियों व अन्य आउटसोर्स एजेंसियों के द्वारा हुई भर्तियों के बारे में एसटीएफ की व अन्य जांचों से यह स्पष्ट हो चुका है कि राज्य गठन से लेकर अब तक सरकारी नौकरियों के लिए जो भी भर्तियां हुई है उनमें व्यापक स्तर का भ्रष्टाचार और अनियमितताएं हुई है और इनकी जांच जरूरी है। पत्र में कहा गया है कि भर्तियों में भ्रष्टाचार के इस ट्विन टावर को तोड़ने के लिए इनकी जांच सीबीआई से कराई जाए तभी दूध का दूध और पानी का पानी हो सकेगा।
यहां यह उल्लेखनीय है कि राज्य गठन से लेकर अब तक राज्य में सरकारी नौकरियों में व्यापक स्तर पर भ्रष्टाचार और अनियमितता हुई है। सूबे में सत्ता भले ही किसी भी दल की रही हो लेकिन नौकरियों की लूटपाट व नौकरियां बेचे जाने का धंधा लगातार जारी रहा है। अब सोशल मीडिया पर 2001 से लेकर अब तक विधानसभा में हुई भर्तियों की सूची वायरल हो रही है जिसमें भगत सिंह कोश्यारी से लेकर हरीश रावत व यशपाल आर्य से लेकर अजय भटृ और महेंद्र भटृ तथा गोविंद सिंह कुंजवाल, मुन्ना सिंह चौहान, सुबोध उनियाल, अनुसूया प्रसाद मैखुरी, धन सिंह रावत, रेखा आर्य, नरेश बंसल, निर्वाचन अधिकारी मस्तु राम और संघ नेताओं के रिश्तेदारों व सगे संबंधियों तक को नौकरी दिए जाने का सनसनीखेज खुलासा हुआ है। हैरान करने वाली बात यह है कि नेताओं द्वारा बड़ी बेशर्मी के साथ अभी इन नियुक्तियों को सही ठहराये जाने की कोशिशें की जा रही है और एक दूसरे को कटघरे में खड़ा किया जा रहा है।

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