टिहरी। टिहरी विधायक किशोर उपाध्याय ने जल संसाधन पर स्थायी संसदीय समिति को हिमालय एवं गंगा के वैज्ञानिक प्रबन्धन हेतु पत्र लिखकर आग्रह किया गया है।
पत्र के माध्यम से टिहरी विधायक किशोर उपाध्याय ने कहा है कि टिहरी सदैव राष्ट्र एवं मानवता के प्रति अपने कर्तव्यों के प्रति अनुकरणीय निष्ठा का उदारण विश्व के सामने प्रस्तुत करता रहा है। उन्होने कहा है कि समिति राष्ट्र के जल संसाधनों के प्रति देश की सर्वाेच्च पंचायत संसद के लिये आंख, नाक एवं कान का कार्य करती है। टिहरी बांध जहां एक ओर राष्ट्र को विघुत के माध्यम से प्रकाश प्रदान कर रहा है, वहीं दूसरी ओर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के लाखों निवासियों को पेयजल उपलब्ध कराने के साथ—साथ पूरे उत्तर प्रदेश और लगभग पूरे उत्तर भारत को सिंचाई एवं पेयजल उपलब्ध करा रहा हैं।
उन्होने कहा है कि गंगा एवं यमुना को भी पल्लवित और पुष्पित भी यही धरती कर रही है। प्राण वायु के उपरान्त जल और अन्न मानव जीवन की सुरक्षा और निरन्तरता के मुख्य कारक हैं। समिति जल संसाधनों के विकास एवं अनुरक्षण के बारे में संसद के लिये चक्षु का काम करती है। आज विश्व जलवायु नियन्ता हिमालय और सनातन धर्म की रक्षक गंगा संकट में है।
अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिकों ने कहा है कि यदि हिमालय का प्रबन्धन हमने ठीक नही किया तो अगले 50 वर्षों में हिमालय पर एक बूँद बर्फ नही बचेगी और इसका वैश्विक असर होगा। आधी दुनिया जल के भीतर होगी विकसित देश सबसे अधिक प्रभावित होंगें। बहुत से देशों का अस्तित्व समाप्त हो जायेगा, भारत भी उससे बच नही पायेगा सबसे बड़ा संकट भारत की राजधानी दिल्ली को झेलना पड़ेगा।
उन्होने कहा है कि हिमालय और गंगा भारत मां को पुनः सोने की चिडिया बनाने की क्षमता रखते हैं। अतः मेरा आपसे विनम्र निवेदन है कि संसद को हमारी भावनाओं से अवगत कराने का कष्ट करेंगे और अगर आप अनुमति प्रदान करेंगें तो मै हिमालय व गंगा की सुरक्षा के सम्बन्ध में समिति के सम्मुख तथा संसद के सम्मुख तथ्यों के साथ इस विषय पर आ रहे संकट से अवगत करा सकता हूँ और इस संकट से कैसे मुक्ति मिलेगी ? उसकी रूप रेखा प्रस्तुत कर सकता हूँ।