देहरादून। पुलिस अभिरक्षा से कैदी के फरार होने पर दरोगा ने अपने ही खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया है।
मामला पटेलनगर कोतवाली क्षेत्र का है। प्राप्त जानकारी के अनुसार पुलिस चौकी सैक्टर—1 थाना सैक्टर—7 पंचकुला हरियाणा के दरोगा राकेश कुमार ने पटेलनगर कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराते हुए बताया कि वह मुकदमा नम्बर 39 30 सितम्बर 2021 धारा 406,420,506,120 बी थाना सैक्टर 7 पचकुला में नामजद आरोपी प्रवीन कुमार पुत्र दशोन्दी राम निवासी मकान गनोली गैट छछरोली जिला यमुनानगर हरियाणा को अदालत श्रीमती रजनी कौशल सीजेएम कोर्ट पंचकुला से प्रोडक्शन वारन्ट पर 14 जून 2023 को सहारनपुर जेल से अदालत मे पेश किया गया था जो अदालत के आदेश के अनुसार शामिल जांच करके 5 दिन का पुलिस रिमाण्ड प्राप्त किया गया था। आरोपी के अनुसार सह अपराधियो विजय कुमार, नरेन्द्र आदि की गिरफ्तारी की जानी थी।
आरोपी ने बतलाया था कि सह आरोपियान देहरादून बस अड्डा के आस पास किसी होटल मे मिल सकते है। इस सुचना पर वह साथी कर्मचारी सिपाही सुरेन्द्र कुमार के साथ समय करीब साढे ग्यारह पीएम पर होटल शुभ मगलमं मे जाकर कमरा नम्बर 106 किराये पर लिया था, खाना खाने के बाद वह तथा आरोपी प्रवीन कुमार मय साथी कर्मचारी कमरा नम्बर 106 मे रुक गये थे। इस दौरान प्रवीन कुमार ने उससे रात्रि तीन बजे कहा कि उसको बाथरुम जाना है तो प्रवीन कुमार बाथरुम करने के लिये चला गया। जब प्रवीन कुमार बाथरुम से बाहर आया तो उसने अपने हाथ मे लिये प्लास्टिक जग से उसके ऊपर पानी मुहँ पर मारा और उसको धक्का मारा और वह नीचे गिर गया और नीचे गिरने के कारण उसके बाये हाथ पर हल्की चोटे लगी। उसने प्रवीन कुमार को पकडने की काफी कोशिश की लेकिन प्रवीन कुमार अन्धेरे का फायदा उठाकर पुलिस हिरासत से भागने मे कामयाब हो गया। तो उसने अपने साथी कर्मचारी के साथ काफी समय तक प्रवीन कुमार की तलाश की लेकिन वह कही पर नही मिला। मामले में पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
पुलिस कस्टडी से पूर्व में भी फरार होते रहे है कैदी
देहरादून। पुलिस कस्टडी से कैदी के फरार होने का यह कोई पहला मामला नहीं है। इससे पूर्व भी कई कुख्यात पुलिस कस्टडी से फरार होते रहे है। इन सब में पुलिस की लापरवाहीं ही सामने आती रही है।
बता दें कि कुछ वर्ष पूर्व देहरादून पुलिस जब कुख्यात बदमाश अमित भूरा को लेकर यूपी में एक मुकदमें के सिलसिले में गयी थी तब वहंा अमित भूरा के साथियों ने पुलिस की आंखो में मिर्चो झोंककर उसे छुड़ा लिया गया था। सवाल किसी एक राज्य की पुलिस का नहंी है। बदमाशों की कस्टडी लेने के बाद पुलिस लापरवाह हो जाती हैं और तो और कई बार तो पुलिस इन बदमाशों के साथ उनके घरों तक जाती है तथा उनकी सेवाए लेती है। पुलिस को अगर बदमाशों की फरारी पर अंकुश लगाना है तो पहले उसे बदमाशों की सेवाए लेना बंद करनी होगी।