चार धाम यात्रा की तैयारियां

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चार धाम यात्रा को सुगम और सुखद बनाने की कोशिशों में जुटी धामी की सरकार अपने मिशन में कितनी कामयाब हो पाती है यह तो आने वाला समय ही बतायेगा। क्योंकि सत्ता में बैठे लोगों द्वारा हर एक साल में चार धाम यात्रा शुरू होने से पूर्व तमाम तरह की तैयारियां की जाती है तथा बड़े—बड़े दावे भी किए जाते हैं। बीते कल मुख्यमंत्री धामी ने अपने तमाम बड़े अधिकारियों के साथ इस साल 30 अप्रैल से शुरू होने वाली यात्रा को लेकर न सिर्फ तैयारियों की समीक्षा की गई है बल्कि यात्रा के टारगेट भी फिक्स किए गए हैं यात्रा को सफल बनाने के लिए सबसे अहम मुद्दा है भीड़ कंट्रोल करने का। जिसमें पिछले सभी प्रयास नाकाम साबित हुए हैं। यात्रियों के पंजीकरण तो पिछले साल भी ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों ही तरह से किए गए थे लेकिन इसके बावजूद भी यात्रियों को भारी परेशानियां उठानी पड़ी थी। ऑनलाइन पंजीकरण में लोग सर्वर डाउन होने और कई बार प्रयास करने पर पंजीकरण कराने में असफल रहे व ऑफलाइन के लिए उन्हें हरिद्वार और ऋषिकेश में कई कई दिन रुकने के बाद भी बेरिंग वापस लौटना पड़ा था। जो लोग बिना रजिस्ट्रेशन के धामों तक पहुंच गए थे उन्होने धामों की क्षमता से अधिक पहुंचकर दर्शनार्थियों की समस्याओं को बढ़ा दिया था या फिर धामों में रुकने ठहरने की व्यवस्थाओं को गड़बड़ा दिया था देखना होगा कि सरकार क्या इस बार इन व्यवस्थाओं को सुधार सकेगी। सरकार द्वारा क्या कोई ऐसी व्यवस्था की जा सकेगी कि लोगों को आसानी से पंजीकरण का मौका मिल सकेगा और एक दिन के लोट में कई लोग दर्शन कर सकेगे। यात्रा मार्गाे से उन्हें इस बार वापस तो नहीं लौटाया जाएगा। मुख्यमंत्री धामी कल हुई हाई लेवल मीटिंग में हेली सेवा से लेकर टूर ऑपरेटर द्वारा की जाने वाली धोखाधड़ी और ब्लैकमेलिंग को रोकने के पुख्ता इंतजाम करने के निर्देश अधिकारियों को दिए गए हैं। जब से हवाई सेवाओं की शुरुआत राज्य में हुई तब से लेकर अब तक हर एक साल अनेक मामले फर्जीवाड़े और यात्रियों की साथ ठगी किए जाने के सामने आते रहे हैं क्यों राज्य सरकार ऐसे लोगों पर शिकंजा कस नही सकती जिनकी इस तरह की हरकतों के कारण राज्य की छवि खराब होती है उसे बचाया जा सकेगा? इसमें कोई संदेह नहीं है कि जब इस यात्रा में 40—50 लाख लोगों को आना हो उसकी सही व्यवस्थाओं को पूरी तरह से दुरुस्त नहीं किया जा सकता है लेकिन यात्रियों को सामने ऐसी संकट पूर्ण स्थितियां भी नहीं बननी चाहिए जो उनकी जान पर भारी पड़ जाए। बीते साल गंगोत्री मार्ग पर पैदल यात्रियों की भारी भीड़ के कारण महिलाओं—बच्चों को जाम में फंसने से भारी दिक्कतें उठानी पड़ी थी। केदारधाम में अधिक भीड़ के कारण लोगों को कड़कती रातों में खुले आसमान के नीचे गुजारने पर मजबूर होना पड़ा था ऐसी स्थितियां कदाचित भी उचित नहीं कहीं जा सकती है। हर साल तैयारियों के समय यह कहा जाता है कि पिछले अनुभव से सबक लेकर इस बार यात्रा की तैयारी की जा रही है लेकिन जब यात्रा शुरू होती है तो फिर नतीजा डाक के तीन पाथ ही सामने आता है। चार धाम यात्रा के प्रमोशन के साथ—साथ यात्रा की तैयारियों को अधिक की जाने की जरूरत है। जिससे देवभूमि की अच्छी छवि लेकर सुखद यात्रा करके श्रद्धालु अपने घर लौट सके।

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