चार धाम यात्रा शुरू होने के साथ ही जिस तरह उत्तराखंड की ओर श्रद्धालुओं और पर्यटकों का हुजूम उमड़ रहा है वह राज्य के पर्यटन के भविष्य का शुभ संकेत है। हालांकि राज्य में इस साल रिकॉर्ड संख्या में आ रहे पर्यटकों का एक कारण बीते दो साल चार धाम यात्रा का बंद रहना भी माना जा रहा है लेकिन दूसरी ओर इसके पीछे पर्यटन विकास की वह संभावनाएं भी झांकती दिख रही है जिनके आधार पर इस पर्वतीय राज्य को एक पर्यटन प्रदेश होने या बनाने की बात कही जाती रही है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि उत्तराखंड में प्राकृतिक सौंदर्य तथा योग और अध्यात्म का वह खजाना छिपा हुआ है जो कभी खत्म होने वाला नहीं है। इसे विडंबना ही कहा जा सकता है कि राज्य बनने के बाद और राज्य बनने से पहले इसे ठीक से समझने का प्रयास किसी के भी द्वारा नहीं किए गए। राज्य में कनेक्टिविटी का अभाव इसका एक अहम कारण रहा है। पीएम मोदी के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा इस क्षेत्र में ऐसे कुछ कामों की शुरुआत की गई जिससे अब भविष्य की संभावनाएं साफ नजर आने लगी है। बाद चाहे ऑल वेदर रोड की हो जिसके अंतर्गत चारों धामों को जोड़ने पर काम चल रहा है या फिर ऋषिकेश—कर्णप्रयाग रेल मार्ग की जिस पर अभी काम शुरू हुआ है अथवा उस दिल्ली देहरादून एलिवेटेड रोड की जिससे दून और दिल्ली की दूरी ढाई—तीन घंटे की होने की बात कही जा रही है। ऐसे ही कुछ कामों का नतीजा है जिसके परिणाम अभी से परिलक्षित होने लगे हैं। राज्य में सड़कों की बेहतर होती स्थिति और दूरसंचार नेटवर्क की बढ़ती पकड़ से अब लक्ष्य नजदीक आता दिख रहा है। यह भी सच है कि अभी बहुत थोड़ा काम हुआ है और बहुत सारा काम बाकी है लेकिन प्रधानमंत्री मोदी का यह कहना कि आने वाला दशक उत्तराखंड के विकास का दशक होगा इसकी समय सीमा को तय करता है। आगामी दस साल अगर विकास की यह यात्रा इसी गति से जारी रह सके तो इसमें कोई संदेह नहीं है कि विश्व के पर्यटन के नक्शे पर उत्तराखंड अपनी एक अलग पहचान नहीं बना लेगा। लेकिन इसके लिए केंद्र और राज्य सरकारों को विशेष ध्यान देने की जरूरत होगी। अभी बीते दिनों उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी ने भी अपने तीन दिवसीय दौरे के बाद कुछ इसी संभावनाओं पर बात करते हुए धामी सरकार को पर्यटन और चार धाम यात्रा की सुविधाओं को और अधिक बेहतर बनाने का सुझाव दिया गया था। राज्य सरकार जो इन दिनों चार धाम यात्रा की कुव्यवस्थाओं के कारण विपक्ष की आलोचना झेल रही है उसे यह स्वीकार करना चाहिए कि वह इस ऐतिहासिक यात्रा के लिए कैसे ऐतिहासिक इंतजाम नहीं कर पाई है जैसे किए जाने चाहिए थे। उत्तराखंड का पर्यटन सिर्फ चार धाम यात्रा तक सीमित नहीं है। राज्य में पर्यटन के ऐसे अनेक आयाम मौजूद हैं। उत्तराखंड में हर दस—बीस किलोमीटर की दूरी पर एक ऐसा पर्यटन स्थल है जिसका विकास अगर हो सके तो लोग महीनों तक उत्तराखंड में घूमते रहे। लेकिन यह काम दाल—चावल और मच्छी—भात से नहीं चल सकता जिस पर अब तक पर्यटन निर्भर रहा है। यात्रियों के लिए ए—क्लास यात्री सुविधाएं देकर उसे लक्ष्य तक पहुंचाया जा सकता है। अच्छी बात यह है कि यह बात अब सूबे के शासन—प्रशासन से लेकर आम जनता तक को समझ आ चुकी है।