आपकी जाति और धर्म क्या है? आप नेता है या अभिनेता, कलेक्टर है या इंस्पेक्टर अथवा मंत्री है या संत्री रहीस है या रंक, यह तमाम बातें कोई मायने नहीं रखती हैं अगर कोई बात मायने रखती है तो वह है सिर्फ एक बात की आप कैसे इंसान हैं? निसंदेह इस कलयुग काल में किसी भी आदमी का अच्छा इंसान होना एक दुर्लभ बात है लेकिन देश की धरा पर हर युग और काल खंड में इंसान और इंसानियत दोनों की मौजूदगी रही है और रहेगी, भले ही उनकी गिनती कितनी भी क्यों न हो जाए? जब भी हमारे बीच से कोई अच्छा इंसान चला जाता है तो उसका जाना हमें मर्माहत कर जाता है भले ही हमने उसे कभी देखा न हो या हम उससे कभी मिले भी न हो लेकिन उसके जाने की खबर बहुत लोगों की आंखें नम कर जाती है। यह वह लोग होते हैं जिनका निधन देश व समाज के लिए अपूर्ण क्षति होता है। बीते कल उत्तराखंड सरकार के काबीना मंत्री चंदन रामदास का निधन हो गया। उनके निधन की खबर आने के बाद अनेक लोगों द्वारा अपनी अपनी भाषा और श्ौली में उन्हें शोक संवेदनाएं व्यक्त की जाने लगी। सत्ता पक्ष के लोगों ने उनके बारे में जो शोक संवेदनाएं व्यक्त की गई वह स्वाभाविक ही थी लेकिन तमाम विपक्षी दलों के नेताओं ने जिस तरह से उनके निधन पर दुख और संवेदनाएं अभिव्यक्त की वह इस बात का साक्ष्य है कि चंदन रामदास कितने अच्छे इंसान थे हमारे समाज की यह एक विडंबना रही है कि वह अच्छे इंसानों को उनके जीवनकाल में कभी उतनी तवज्जो नहीं देता है जितना सम्मान उन्हें चले जाने के बाद दिया जाता है। चंदन रामदास के व्यक्तित्व व कृतित्व तथा महत्व को समझने के लिए उनके राजनीतिक सफर पर एक नजर डाला जाना जरूरी है। 1997 में उनका राजनीति में पदार्पण तब हुआ जब वह बागेश्वर नगर पालिका के निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव जीतकर नगर पालिका अध्यक्ष बने। भाजपा की सदस्यता लेने के बाद वह पहला विधानसभा चुनाव 2007 में जीते और उसके बाद वह लगातार चुनाव लड़ते और जीतते रहे। 2022 में चौथी बार लगातार चुनाव जीतने के बाद पार्टी के शीर्ष नेताओं ने उन्हें तवज्जो देने की जरूरत समझी। चंदन रामदास ने मुख्यमंत्री धामी के बागेश्वर से उपचुनाव लड़ने के दौरान उनके चुनाव की कमान न संभाली होती तो मुख्यमंत्री धामी शायद वैसी ऐतिहासिक जीत दर्ज नहीं कर पाते जैसी हुई। इस जीत ने उन्हें न सिर्फ मुख्यमंत्री का अत्यंत करीबी बना दिया अपितु भाजपा के शीर्ष व केंद्रीय नेताओं की नजर में भी बड़ा नेता बना दिया था। उनके निधन के बाद अब भाजपा नेता कुमाऊं मंडल में उनके कद का दूसरा एससी समुदाय का चेहरा तलाश रहे हो लेकिन अब उन्हें चंदन रामदास जैसा कोई नहीं मिल सकता है। उनके निधन के बाद चारों तरफ उनके सरल व्यक्तित्व और सौम्य स्वभाव की चर्चाएं हो रही है क्योंकि यही वह गुण था जिसने चंदन रामदास को राजनीति का चंदन बनाने का काम किया। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें ऐसी हमारी प्रार्थना है।