खराब मौसम से सावधान

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चार धाम यात्रा के साथ ही मौसम में आए बड़े बदलाव ने चारधाम यात्रियों की मुश्किलों को बढ़ा दिया है। श्रद्धा का सैलाब रोक पाना संभव नहीं है। बीते कल अत्यंत की विपरीत परिस्थितियों के बीच केदारधाम में 8 हजार के आसपास यात्रियों का पहुंचना यह बताने के लिए काफी है। धाम में भारी बर्फबारी और शुन्य डिग्री से नीचे तापमान के बावजूद बर्फीले रास्तों को पार कर बाबा के धाम तक पहुंचे इन श्रद्धालुओं के जुनून की हद यह है कि इतनी भीषण सर्दी की रात में भी रात 12 बजे से यह श्रद्धालु दर्शनों के लिए लाइनों में खड़े हो गए थे जबकि धाम के कपाट सुबह 6ः20 बजे खोले जाने थे। इन विषम परिस्थितियों का प्रभाव यात्रियों की सेहत और स्वास्थ्य पर नहीं पड़ेगा यह असंभव बात है। यह हाल तब है जब कुछ यात्रियों को खराब मौसम और धाम में सीमित संख्या में श्रद्धालुओं के ठहरने की व्यवस्था होने के कारण कुछ यात्रियों को सोनप्रयाग और गौरीकुंड में ही रोक दिया गया था भले ही सरकार द्वारा यात्रा मार्गों पर 50 स्वास्थ्य एटीएम संचालित करने का दावा किया जा रहा हो और किसी यात्री की तबीयत बिगड़ने पर एयर एंबुलेंस उपलब्ध कराने तक की बात कही जा रही हो लेकिन मौसम की विसंगतियों का सामना इतनी आसानी से नहीं किया जा सकता है। मौसम विभाग द्वारा गंगोत्री क्षेत्र में आने वाले दिनों में भारी बर्फबारी का अलर्ट जारी किया गया है। गोमुख मार्ग (ट्रैक) को इस चेतावनी के बाद 4 दिन के लिए बंद कर दिया गया है तथा आवाजाही पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया है। क्योंकि इस दौरान एवलांच की संभावना भी जताई गई है। जरूरत इस बात की है कि यात्रियों को शासन प्रशासन की इस चेतावनी पर भी ध्यान देने की जरूरत है जिसमें यात्रियों से यह अनुरोध किया गया है कि वह खराब मौसम में यात्रा न करें और सुरक्षित ठिकानों पर ठहर कर मौसम के ठीक होने का इंतजार करें। इसमें भले ही यात्रियों की यात्रा एक—दो दिन अधिक लंबी हो सकती है लेकिन यह देरी दुर्घटना से ज्यादा भली है। मौसम विभाग की चेतावनी के बाद हरिद्वार और ऋषिकेश में होने वाले ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन को तो रोक ही दिया गया वहीं केदारनाथ जाने वाले यात्रियों को रास्तों में कई जगह रोका जा रहा है। शासन—प्रशासन द्वारा ऐसा इन यात्रियों की सुरक्षा के मद्देनजर ही किया जा रहा है। इसे सरकार की या प्रशासन की कमी या खामी के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए। बीते साल चार धाम यात्रा के दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की मौतों का मामला सामने आया था अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में ऑक्सीजन की कमी और पहले से ही बीमारियों से पीड़ित यात्रियों की मुश्किलें इस खराब मौसम में और अधिक बढ़ जाती हैं देश के गर्म इलाकों से आने वाले यात्री मौसम के बदलाव के साथ अपने शरीर को सामान्य नहीं रख पाते जिससे कई बार उन्हें गंभीर स्थितियों का सामना करना पड़ता है खास बात यह है कि यह खराब मौसम अभी लंबे समय तक रहने वाला है इसलिए भी यात्रियों को विशेष सावधानियां बरतने की जरूरत है।

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