विपक्ष और उसके मुद्दे, सब खत्म

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लोकतंत्र में विपक्ष का मजबूत होना कितना अनिवार्य और जरूरी होता है इस बात का एहसास अब कांग्रेस को ही नहीं देश के आम आदमी को भी होता जा रहा है जब सत्ता में बैठे लोग किसी की भी बात सुनने को तैयार न हो तो यह स्थिति लोकतंत्र के लिए अच्छे संकेत नहीं कहे जा सकते हैं। आम आदमी जिस बढ़ती महंगाई को लेकर सबसे ज्यादा परेशान है आज सरकार में बैठे लोग उसे यह कहकर हवा में उड़ा रहे हैं कि महंगाई है कहां? उनके हाथों में उन देशों की लिस्ट है जहां भारत से अधिक उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतें हैं उनका तर्क है कि उसके मुकाबले तो यहां कुछ भी महंगाई नहीं है। जो आज सत्ता में बैठे हैं उनके लिए महंगाई तब तक मुद्दा थी जब तक वह विपक्ष में थे गैस सिलेंडर की कीमतें अगर 350 से बढ़कर 360 हो जाती थी तो महंगाई डायन हो जाती थी और अब 500 से बढ़कर 1000 के पार हो गई लेकिन महंगाई फिर भी नहीं है। पेट्रोल 50 रूपये से बढ़कर अगर 52 रूपये हो जाता था तो वह धरने पर बैठ जाते थे लेकिन अब पेट्रोल 100 के पार हो गया फिर भी महंगाई उन्हें दिखाई नहीं दे रही है। इस मानसून सत्र में एक भी दिन संसद की कार्यवाही नहीं चल सकी है विपक्ष का कहना है कि सत्ता पक्ष सदन में उन्हें किसी मुद्दे पर भी चर्चा करने ही नहीं देता है। सत्ता पक्ष का कहना है कि कांग्रेसी और विपक्षी दल ईडी की कार्रवाई को लेकर संसद में काम नहीं होने दे रहे हैं। लेकिन सत्य यही है कि सत्तापक्ष ने कमजोर विपक्ष को इतना कमजोर कर दिया है कि अब उनका कोई वजूद बचा ही नहीं है इस सच के कारण ही सत्ता पक्ष द्वारा तमाम मुद्दों पर तानाशाही वाला रवैया दिखाया जा रहा है। बात चाहे महंगाई की हो या फिर भ्रष्टाचार की अथवा बेरोजगारी की। सरकार के लिए यह मुद्दे हंसी मजाक के मुद्दे बनकर रह गए हैं। सत्ता की ताकत क्या होती है मोदी ने इसका एहसास देश की जनता और विपक्ष दोनों को बखूबी करा दिया है। भाजपा नेताओं द्वारा कुछ साल पहले कांग्रेस मुक्त भारत का नारा दिया गया था हो सकता है तब कांग्रेसी नेताओं और आम आदमी की समझ में यह न आया हो कि इसके नितार्थ क्या है? लेकिन अब तक स्थिति साफ हो चुकी है। कांग्रेस के कमजोर होने का मतलब ही विपक्ष का वजूद खत्म होना है और जब विपक्ष ही नहीं रहेगा तो फिर लोकतंत्र भी नहीं बचेगा ऐसे में सिर्फ तानाशाही ही शेष रह जाती है। विपक्ष के खात्मे के लिए भी कोई और जिम्मेदार नहीं है खुद विपक्षी दल ही जिम्मेदार हैं लेकिन इसका सबसे बड़ा नुकसान आम जनता का हो रहा है। गरीबों को और अधिक गरीबी में धकेला जा रहा है। मुफ्त का राशन जब बंद हो जाएगा तब इन गरीबों का क्या होगा इसकी समझ भी उन्हें नहीं है। यही कारण है कि जनता के लिए भी अब महंगाई व बेरोजगारी कोई मुद्दा नहीं रहे गए हैं

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