केजरीवाल आए और फ्री कोरोना दे गए
देहरादून। बीते कल राजधानी दून आये दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने परेड ग्राउंड में जनसभा से लेकर अन्य कई कार्यक्रमों में भाग लिया था, अब उनके कोरोना पाजिटिव होने की खबर आने के बाद शासन—प्रशासन में हड़कंप मचा हुआ है। वही सियासी रैलियों पर रोक और नेताओं द्वारा कोरोना नियमों के उल्लंघन पर आम आदमी से लेकर राजनीतिक दल भी सवाल उठा रहे हैं।
बीजापुर गेस्ट हाउस प्रबंधकों ने जिलाधिकारी को पत्र लिखकर गेस्ट हाउस के स्टाफ का कोरोना टेस्ट कराने की मांग की है वहीं एयरपोर्ट कर्मचारियों के भी टेस्ट कराने को कहा गया है। पूर्व आप नेता और सामाजिक कार्यकर्ता अनूप नौटियाल ने कोरोना के बढ़ते मामलों के मद्देनजर राजनीतिक रैलियों पर रोक लगाने की बात कही है। अब आप के तमाम नेता अपना कोरोना टेस्ट करा रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि टीवी चैनलों पर कोरोना की गाइडलाइनों का पालन करने की लोगों से अपील करने वाले अरविंद केजरीवाल ने कल अपनी उत्तराखंड यात्रा के दौरान कोरोना नियमों की धज्जियां खुद ही उड़ा दी। वह कहीं भी मास्क लगाए नहीं दिखे। एयरपोर्ट से लेकर बीजापुर गेस्ट हाउस तक जहां वह सैकड़ों पार्टी कार्यकर्ताओं से मिले तथा जनसभा के दौरान वह और अन्य आप के नेताओं ने मास्क नहीं लगा रखा था। सोशल डिस्टेंसिंग तो दूर—दूर तक देखने को नहीं मिली। अब यह आप कार्यकर्ता और नेता अपना कोरोना टेस्ट करा रहे हैं।
भाजपा ने अरविंद केजरीवाल को आड़े हाथों लेते हुए कहा है कि मुफ्त बिजली व मुफ्त पानी देने वाले केजरीवाल राज्य के लोगों को मुफ्त में कोरोना बांट कर चले गए। भाजपा का आरोप है कि केजरीवाल ने प्रदेश की जनता के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किया है। वही कांग्रेस का कहना है कि आम आदमी के लिए नियम बनाने वाली भाजपा सरकार ने उनसे जांच रिपोर्ट क्यों नहीं मांगी। टेस्ट रिपोर्ट न लाने वाले हजारों पर्यटकों को वापस लौटा दिया जाता है क्या आम और खास आदमी के लिए कोरोना की अलग—अलग गाइडलाइनें है राज्य में। कांग्रेस का कहना है कि अगर उन्हें पता था कि उन्हें कोरोना है तो फिर वह क्यों देहरादून आए? खैर कुछ भी सही लेकिन रैली से जाने के बाद स्वयं को कोरोना पाजिटिव होने की खबर देकर अरविंद केजरीवाल खुद ही अपनी फजीहत करा चुके हैं।
अब शिक्षित बेरोजगारों का क्या होगा?
देहरादून। सेवानिवृत्त सैनिकों को सरकारी नौकरी देने की घोषणा करने वाले अरविंद केजरीवाल का दांव उन पर ही उल्टा पड़ गया है। शिक्षित युवा बेरोजगार इससे काफी नाराज हैं। उनका कहना है कि अगर सभी सेवानिवृत्त सैनिकों को उनकी सरकार नौकरी दे देगी तो वह कहां जाएंगे? राज्य में पहले ही लाखों बेरोजगारों का भविष्य अंधेरे में हैं और वह नौकरी के लिए भटक रहे हैं। राजनीति के जानकार मानते हैं कि केजरीवाल का फैसला अपने ही पैरों में कुल्हाड़ी मारने वाला साबित होगा।