बंटवारे के खिलाफ कांग्रेस सुप्रीम कोर्ट जाएगी
देहरादून। उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के बीच हुए परिसंपत्तियों के बंटवारे के मुद्दे पर अब भाजपा और कांग्रेस के बीच सियासी घमासान शुरू हो चुका है। भाजपा जहां इसे अपनी धामी सरकार की बड़ी उपलब्धि के रूप में प्रचारित और प्रसारित कर रही है वहीं कांग्रेस ने भाजपा पर उत्तराखंड के हितों को बेचने का आरोप लगाते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाने का ऐलान कर दिया है।
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का कहना है कि सूबे की धामी सरकार ने उत्तराखंड को सेल आउट कर दिया है। उनका आरोप है कि सरकार ने राज्य के हितों को ही पलीता नहीं लगाया है बल्कि भावी पीढ़ियों को बड़ा नुकसान पहुंचाया है। उनका कहना है कि उत्तराखंड की सरकार ने आंख बंद करके जिस तरह से केंद्र सरकार के इशारे पर उत्तर प्रदेश की योगी सरकार की बेहतर पोजीशन दिखाने के लिए जिस तरह उत्तराखंड के हितों के साथ समझौता किया गया है उसे कतई भी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा तथा वह बहुत जल्द टी एच डी सी के उन मुद्दों को लेकर जो न्यायालय में लंबित है, को लेकर अदालत का दरवाजा खटखटायेंगे। उन्होंने कहा कि जिन मामलों को लेकर उत्तराखंड अदालत में लड़ाई लड़ रहा था उन्हें वापस लेने से पहले उनकी बात भी सुनी जानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि सरकार ने इस फैसले के जरिए उत्तराखंड के अधिकारों को गिरवी रख दिया है उत्तराखंड परिवहन को इस बंटवारे में राज्य को सात आठ सौ करोड़ मिलना चाहिए था लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार 205 करोड़ दे रही है और सरकार खुश हो रही है। उन्होंने कहा कि काग्रेस इस बंटवारे को लेकर सुप्रीम कोर्ट जाएगी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस राज्य हित की इस लड़ाई को पूरी ताकत से लड़ेगी।
उधर उत्तराखंड सरकार और भाजपा नेता 21साल पुराने इस परिसंपत्ति बंटवारे को हल करने के लिए अपनी पीठ थपथपा रहे हैं। तथा इसे सरकार की बड़ी सफलता बताकर इसका चुनाव में लाभ लेने का प्रयास कर रहे हैं। 5700 हेक्टेयर जमीन, 1500 भवनों के ज्वांइट सर्वे में 15 दिनों में फैसले की बात का अभी जमीन पर उतरवाना भी बकाया है लेकिन कांग्रेस द्वारा इस बंटवारे पर सवाल खड़े किए जाने से मामला उलझता दिख रहा है। यह भी हो सकता है कि कांग्रेस का यह विरोध भी चुनावी विरोध हो लेकिन इस बंटवारे पर अब सियासी जंग का तेज होना तय है।