राज्य को 23 साल में भी नहीं मिला स्थाई विधानसभा भवन

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  • कब तक सत्र के दौरान रोका जाता रहेगा हाईवे
  • आम आदमी को आवागमन में होती है भारी दिक्कतें

देहरादून। उत्तराखंड की विधानसभा का सत्र जब भी आहुत किया जाता है राष्ट्रीय राजमार्ग पर बैरिकेडिंग कर सुरक्षा के मद्देनजर आम लोगों और वाहनों की आवाजाही को रोक दिया जाता है। मुख्य मार्ग के बाधित होने के कारण हर बार रूट डायवर्ट किया जाने से लोगों को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है लेकिन इसका कोई स्थाई समाधान सूबे की सरकारों द्वारा 22 साल में भी नहीं किया जा सका है। जबकि सत्ता में बैठे नेताओं द्वारा विकास के बड़े—बड़े दावे किए जाते हैं लेकिन वह राज्य गठन के 23 साल बाद भी राज्य को एक स्थाई राजधानी व विधानसभा भवन तक नहीं दे सके हैं।


हर विधानसभा सत्र के दौरान आम आदमी की यह परेशानियां किसी भी नेता या अधिकारी को नजर नहीं आती है। नवंबर 2000 में जब उत्तराखंड राज्य का गठन किया गया था तब दून को राज्य की अस्थाई राजधानी के तौर पर अस्तित्व में लाया गया था। राजधानी दून से राजकाज चलाने के लिए रिस्पना पुल के पास बिंदाल नदी के प्रवाह क्षेत्र में विधान भवन का निर्माण कर दिया गया तब से लेकर अब तक राज्य की स्थाई राजधानी के नाम पर सिर्फ सियासत ही हावी रही है। 2016 में कांग्रेस ने गैरसैंण को राजधानी बनाने के नाम पर भूमि पूजन किया। विधान भवन भी बन गया मगर स्थाई राजधानी पर फैसला अभी तक भी नहीं हो सका है। भाजपा की पूर्ववर्ती त्रिवेंद्र सरकार द्वारा गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी तो घोषित किया गया मगर सरकार व अधिकारी यहंा सिर्फ औपचारिक सत्र का आयोजन करते हैं। वहीं रायपुर विधानसभा क्षेत्र में भी नए विधान भवन के लिए भूमि चिन्हित है मगर राज्य को कभी कोई स्थाई राजधानी और स्थाई विधान भवन मिलेगा इसकी संभावनाएं सौ—सौ कोस दूर भी नहीं दिखाई दे रही हैं।
एक तरफ देहरादून को स्मार्ट सिटी बनाया जा रहा है तथा राजधानी के सौंदर्यीकरण पर करोड़ों रूपये खर्च करने की बात हो रही है लेकिन उत्तराखंड को एक अदद स्थाई विधानसभा भवन कब मिलेगा और स्थाई राजधानी कब मिलेगी और पुराने विधान भवन के कारण राष्ट्रीय राजमार्ग को कब तक बाधित करने से मुक्ति मिलेगी जिससे लोगों की परेशानी का समाधान हो सके इन सवालों का जवाब सत्ता में बैठे किसी भी नेता के पास नहीं है।

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