सूबे पर जल प्रलय की मार, जिंदगी लाचार : राम झूला पुल खतरे की जद में, आवाजाही रोकी

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  • बह गए पुल, बह गए घर, नदी- नाले उफान पर, जान जोखिम में

देहरादून। देवभूमि में बीते एक महीने से आसमान से आफत की बरसात हो रही है। राजधानी दून सहित सभी जिलों में मानसूनी आपदा ने इस कदर तबाही मचाई है कि लोगों का आवागमन मुश्किल हो गया है। बेघर लोग जंगलों में कुटिया बनाकर रहने पर मजबूर है। उफनते नदी नालों को जान जोखिम में डालकर इधर उधर आ जा रहे हैं। जिंदगी की गाड़ी कैसे पटरी पर आएगी? यह सवाल इन आपदा के मारे मनों को मथ रहा है। लेकिन आपदा का कहर थमता नहीं दिख रहा है ऋषिकेश में गंगा का जल प्रवाह राम झूला के एक पुस्ते को बहा ले गया, और नींव को हिला दिया। जिसके बाद राम झूला पुल पर आवाजाही पूर्णतया बंद कर दी गई है।
उधर मोहन चटृी में 14 अगस्त को हुए भूस्खलन में मलबे में दबे लोगों को तलाशने का काम अभी जारी है 3 शव पहले निकाले जा चुके हैं जबकि आज भी एक शव को मलबे से निकाला गया है। बीते दिन विकास नगर क्षेत्र में भारी बारिश से आधा दर्जन से अधिक मकान जमींदोज हो गए तथा धनोल्टी विधानसभा क्षेत्र के चिपलटी में बादल फटने से मुख्य सड़क का बड़ा हिस्सा बह गया जिसके कारण लगभग 14—15 गांवों का संपर्क टूटा हुआ है। लोगों के घर ढह चुके हैं और खेत खलिहान तबाह हो चुके हैं लोग जंगल में कुटिया बनाकर रहने पर विवश हैं।
चमोली के देवाल क्षेत्र से एक ऐसी तस्वीर सामने आई है जिसमें ग्रामीण गर्भवती महिला को कुर्सी पर बैठा कर खतरनाक लकड़ी के पुल से पार कराकर अस्पताल ले जा रहे हैं वहीं उत्तरकाशी के केमू घाटी में स्कूली बच्चे तारों व पाइपों से बने खतरनाक पुल को पार कर स्कूल जा रहे हैं ऐसे में कभी भी कोई बड़ी दुर्घटना हो सकती है। पिंडर नदी पर बने कई पुल टूट चुके हैं और लोग वैकल्पिक मार्गाे से आ जा रहे हैं। काशीपुर में ढेला नदी ने भारी तबाही मचा रखी है अब तक तीन—चार मकान ढेला नदी के प्रवाह में बह चुके हैं वहीं पिथौरागढ़ तवाघाट पर मार्ग खोलने में जुटी जेसीबी पर पहाड़ गिरने से जेसीबी खाई में गिर गई और उसके प्रखच्चे उड़ गए। हरिद्वार रुड़की क्षेत्र में भारी बारिश ने तबाही मचाई है ऋषिकेश भी बाढ़ का कहर झेल रहा है अब राम झूला भी खतरे की जद में आ गया है एक तरफ का पुस्ता ढह जाने से पुल की नींव हिल गई है। पुलिस ने दोनों तरफ बैरिकेडिंग लगाकर आवाजाही बंद कर दी है। पूरे प्रदेश में हर तरफ बर्बादी ही बर्बादी के निशान देखे जा रहे हैं।

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