सत्ता की असहिष्णुता

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बढ़ती महंगाई को लेकर आम आदमी हैरान और परेशान है तथा विपक्ष संसद से लेकर सड़कों तक सरकार को झकझोर रहा है लेकिन सरकार किसी की कोई बात सुनने को तैयार नहीं है अभी पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों से पूर्व सरकार ने पेट्रोलियम पदार्थों और गैस की कीमतों को कुछ समय तक स्थिर बनाए रखने का प्रयास किया था लेकिन इसके बाद फिर तेजी से इनकी कीमतों में उछाल आना शुरू हो गया जो लगातार जारी है। इस बढ़ती महंगाई का अनुमान सिर्फ इस बात से लगाया जा सकता है कि मार्च 2020 से लेकर मई 2022 के बीच पेट्रोल डीजल की कीमतों में लगभग 36 रूपये और 35 रूपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी हो चुकी है तथा रसोई गैस सिलेंडर के दाम 480 रूपये बढ़ चुके हैं, जो लगभग 2 गुना है। कई राज्यों में रसोई गैस का 14 किलोग्राम वाला सिलेंडर अब एक हजार से भी ऊपर निकल चुका है। बीते 2 सालों में देश की जनता ने कोरोना के कारण जो समस्याएं झेली उसकी आमदनी के साधन छिन्न—भिन्न हुए और लोगों के रोजगार चले गए उसकी मार झेलने के बाद अब आम आदमी जो जैसे तैसे अपने जीवन को पटरी पर लाने का प्रयास कर रहा था वह अब बढ़ती महंगाई से परेशान है। कोरोना की मार ने देश के उस मध्यम वर्ग को जो गरीबी की रेखा से ऊपर उठने के लिए छटपटा रहा था एक बार फिर से गरीबी की भटृी में झौंक दिया गया है। देश की लगभग 20 फीसदी आबादी यानी 25 करोड़ लोग गरीबी की रेखा से नीचे कोरोना और महंगाई ने धकेल दिए हैं। खास बात यह है कि हर तिमाही अपने जीएसटी संकलन में हो रही रिकॉर्ड कमाई से सरकार खुश है। रिजर्व बैंक रेपो रेट में बढ़ोतरी कर कर्ज महंगा करके अर्थव्यवस्था को बचाने में जुटा है लेकिन आम आदमी की स्थिति पर कोई भी गौर करने को तैयार नहीं है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पेट्रोल और डीजल पर राज्यों से वैट कम करने की अपील तो कर रहे हैं लेकिन केंद्र सरकार जो पेट्रोल—डीजल पर टैक्स के जरिए अपना खजाना भरने में जुटी है उसमें रत्ती भर कमी करने को तैयार नहीं है। केंद्र सरकार ने अपनी सफलता को जनता की संतुष्टि का पैमाना मान लिया है जनता अगर भाजपा का समर्थन कर रही है तो उसका मतलब यह समझ लिया जाना कि जनता को कोई समस्या नहीं है। अगर उसकी कोई समस्या होती तो वह फिर वोट ही क्यों देती? भाजपा की इस सोच को सही नहीं माना जा सकता है। अपनी चुनावी सफलता से भाजपा अगर इतनी मदमस्त हो चुकी है कि जनता की समस्याओं को समझने की बजाय वह अपनी मनमानी पर आमादा हो चुकी है तो इसके परिणाम आने वाले समय में अच्छे नहीं हो सकते हैं। भाजपा के शासनकाल में बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी तथा बढ़ती गरीबी एक ऐसा बम बनती जा रही है जो कभी भी फट सकता है अगर इस बम में विस्फोट हुआ तो इसके नतीजे भी पड़ोसी देश श्रीलंका और पाकिस्तान से कम खतरनाक नहीं होंगे।

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