झंडा ऊंचा रहे हमारा

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अपने बचपन से ही हर हिंदुस्तानी अपने राष्ट्रीय पर्वों पर यह गीत सुनकर बड़ा होता है `विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, झंडा ऊंचा रहे हमारा’ जी हां हम आज उसी तिरंगे (राष्ट्रीय ध्वज) की बात कर रहे हैं जिसकी आन—बान और शान पर हमने हंसते—हंसते अपने सर कटवा दिए हैं। आप सोच रहे होंगे आज तो कोई राष्ट्रीय पर्व नहीं है फिर आज तिरंगे की बात क्यों? जी हां आज राजस्थान के जोधपुर में जालोरी गेट पर तिरंगा फहराते हुए देखकर तिंरगे की चर्चा करना लाजमी हो गया। यहां आपको यह बताना भी लाजमी है कि जालोरी गेट पर आज तिरंगा किन परिस्थितियों में फहराया गया दरअसल बीते कल परशुराम जयंती पर कुछ हिंदू संगठनों द्वारा भगवा झंडा लगा दिया गया था लेकिन बीती रात कुछ मुस्लिम समुदाय के लोगों द्वारा इसे हटा कर यहां इस्लामी झंडा लगा दिया गया लेकिन आज सुबह इस्लामिक झंडे को हटाकर फिर यहां भगवा झंडा लगा दिया। इसे लेकर रात में दोनों समुदायों के बीच टकराव की स्थिति पैदा हो गई लेकिन पुलिसकर्मियों ने समझा—बुझाकर मामला शांत कर दिया। सुबह ईद की नमाज के बाद नमाजियों ने यहां फिर उपद्रव खड़ा कर दिया तोड़फोड़ व पत्थरबाजी तथा आगजनी के कारण जोधपुर दंगों से झुलसने लगा। पुलिस एक्शन के बाद दंगाई खदेड़ दिए गए और पुलिस ने यहां लगे सभी झंडो को हटाकर तिरंगा लगा दिया गया। इन दिनों देशभर में जो सांप्रदायिक टकराव की हवा बह रही है जोधपुर की घटना इसकी एक बानगी भर है। जम्मू कश्मीर के अनंतनाग में आज इसी तरह का मंजर देखा गया। बात चाहे धार्मिक स्थलों से लाउडस्पीकरों हटाने की हो या फिर हिजाब की जिसे लेकर आज यूपी के गाजियाबाद में देखने को मिला। जब यूपी में लाउडस्पीकर हटाए जा रहे थे तब राजस्थान में लाउडस्पीकर लगाए जाने का काम किया जा रहा था। बुलडोजर जिसका चलन यूपी के माफियाओं की संपत्तियों के खिलाफ शुरू हुआ था वह राजस्थान में अतिक्रमण के नाम से होकर मंदिरों को गिराए जाने तक पहुंच गया। कहने को तो इस देश की महानता का कारण अनेकता में एकता को बताया जाता है। लेकिन इस अनेकता पर राजनीतिक दलों द्वारा किस तरह की राजनीति की जाती रही है? यह भी किसी से छुपा नहीं है। तुष्टीकरण की राजनीति ने आज पूरे देश और समाज को बांट दिया है हजारों आधार तैयार कर दिए गए हैं अभी पंजाब के लुधियाना की घटना भी इसकी ही एक कड़ी भर थी। देश एक, झंडा एक, समाज एक, लेकिन विभेद अनेक। पुलिस ने जोधपुर में अब जो तिरंगा लगाया गया है किसी की मजाल नहीं जो एक बार उसकी ओर आंख उठाकर देख भी ले, उखाड़ने की बात तो बहुत दूर की चीज है। देश के नेताओं को तुष्टीकरण की राजनीति से बाज आना चाहिए। सवाल यह है कि देश के नेता कब तक देश के लोगों को लड़ाते रहेगें और हम लड़ते रहेंगे।

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