2017 के चुनाव में हार जीत का अंतर 2000 से कम
देहरादून। उत्तराखंड की 70 विधानसभा सीटों में से 11 विधानसभा सीटें ऐसी हैं जिन पर 2017 के विधानसभा चुनाव में हार जीत का अंतर 2000 से भी कम रहा था तथा इनमें से 5 सीटों पर तो 1000 से भी कम मतान्ंतर से हार जीत का फैसला हुआ था। जबकि 2 सीटों पर तो यह फैसला 500 मतों से भी कम रहा था। इन सभी 11 सीटों को लेकर भाजपा और कांग्रेस दोनों ही चिंतित है। दोनों ही दलों के लिए यह 11 सीटें इसलिए भी खतरा बनी हुई है क्योंकि इन सीटों पर स्थितियां उलट—पुलट होते देर नहीं लगेगी। हालांकि 2017 में इन सीटों पर हार जीत में कांग्रेस व भाजपा दोनों के प्रत्याशी लगभग बराबर ही रहे थे।
जिन 2 सीटों पर हार जीत का फासला पांच सौ वोटो से कम रहा था उसमें लोहाघाट और जागेश्वर की सीटें थी। लोहाघाट सीट पर भाजपा के पूरण सिंह ने कांग्रेस प्रत्याशी खुशाल सिंह को मात्र 148 मतों से हराया था जबकि जागेश्वर सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी गोविंद सिंह कुंजवाल ने भाजपा के सुभेष पांडेय को सिर्फ 399 मतों से पराजित किया था।
जिन सीटों पर 1000 से भी कम मतांतर से हार जीत हुई थी उनमें केदारनाथ सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी मनोज रावत ने भाजपा प्रत्याशी कुलदीप रावत को 869 मतों से हराया था। वही गंगोलीहाट सीट पर भाजपा की मीना गंगोली ने कांग्रेस के नारायण राम आर्य को 805 वोटों के अंतर से पटखनी दी थी। सोमेश्वर सीट पर भाजपा की रेखा आर्य अपने प्रतिद्वंदी कांग्रेस प्रत्याशी राजेंद्र बुडाकोटी को 710 मतों से हरा सकी थी। जिन सीटों पर हार जीत का अंतर एक हजार से अधिक और दो हजार से कम रहा था उनमें पुरोला कि वह सीट जहां कांग्रेस प्रत्याशी राजकुमार ने भाजपा के मालचंद को 1013 मतों से हराया था व पंतनगर सीट जहां भाजपा के विजय सिंह पवार ने कांग्रेस के विक्रम सिंह नेगी को 1939 मतों से मात दी थी इसके अलावा धनोल्टी सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी प्रीतम सिंह पंवार ने नारायण सिंह राणा भाजपा को 1615 मतों से हराने में सफलता हासिल की थी। पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह भी भाजपा प्रत्याशी मधु चौहान से सिर्फ 1543 मतों से ही जीत सके थे पिरान कलियर सीट पर भी कांग्रेस प्रत्याशी फुरकान अहमद और भाजपा प्रत्याशी जय भगवान के बीच मतों का अंतर सिर्फ 1349 रहा था और बाजी फुरकान अहमद के हाथ लगी थी इसके अलावा लक्सर सीट पर भी भाजपा के संजय सिंह ने कांग्रेस प्रत्याशी हाजी तल्सीम अहमद को 1604 वोटों से हराया था।
पुरोला विधायक राजकुमार अब कांग्रेस छोड़कर भाजपा में जा चुके हैं जबकि निर्दलीय चुनाव लड़े धनोल्टी विधायक प्रीतम पंवार ने भी भाजपा का दामन थाम लिया है। सभी 11 सीटें अब भाजपा व काग्रेस दोनों के लिए खतरा बनी हुई है नेता इस बात को लेकर चिंतित हैं कि पता नहीं 2022 में ऊंट किस करवट बैठेगा? स्थितियों में जरा सा भी बदलाव हुआ तो किसी की भी सीट इधर से उधर खिसक सकती है।