उत्तराखंड की राजधानी देहरादून इन दिनों स्मार्ट सिटी कार्यों व भारी बरसात के चलते यातायात अव्यवस्थाओं से जूझ रही है सड़कों पर वाहनों की लंबी कतारें लगी रहती हैं। जगह—जगह जाम की स्थिति आम बात हो गई है कई बार बीमार को अस्पताल ले जा रही एंबुलेंस तक को जाम में फंसे रहने की खबरें सामने आई हैं। प्रमुख सड़कों और चौक चौराहों का चौड़ीकरण कई कई बार किया जा चुका है लेकिन उसकी एक सीमा है। दून की सड़कें चौड़ीकरण के बाद भी इतनी संकरी है कि वह बढ़ते वाहनों और जनसंख्या का बोझ नहीं संभाल पा रही हैं। शहर में पहले एक भी फ्लाईओवर नहीं था और न कोई रिंग रोड था। अब कई फ्लाईओवर होने के बाद भी यातायात व्यवस्था में कोई सुधार नहीं हुआ है। बल्लूपुर चौक पर बना फ्लाईओवर लोगों के लिए सुविधा कम और असुविधा का कारण अधिक बना हुआ है। शहर भर में पार्किंग की कोई समुचित व्यवस्था नहीं है जिसके कारण वाहनों का सड़कों पर पार्किंग किया जाना एक बड़ी मुसीबत बना हुआ है। शहर में बने कमर्शियल कंापलेक्स की हालत यह है कि उनमें बेसमेंट में पार्किंग की कानून व्यवस्था के बाद भी पार्किंग की सुविधा नहीं है।
यातायात पुलिस द्वारा आए दिन दून की सड़कों पर नए—नए प्रयोग किए जाते रहे हैं कहां जाने के लिए कौन सा रूट होगा यह बदलाव और कहीं वनवे बनाकर तो कहीं लेफ्ट राइट टर्न रोक कर यातायात सुधारने के प्रयास किए जाते रहे हैं। लेकिन इन प्रयासों के बाद भी स्थिति में सुधार आने की जगह हालात और अधिक खराब होते जा रहे हैं। दरअसल एक जिला स्तर के शहर को राजधानी स्तर के शहर में तब्दील करना असंभव न सही मुश्किल काम जरूर है। एक समस्या का समाधान होता है तब तक दूसरी समस्या पैदा हो जाती है लेकिन इसका अंत होता नहीं दिख रहा है और ज्यादा समस्या दिनोंदिन अधिक गंभीर होती दिख रही है। गलती यह है कि राजधानी बनने के बाद जहां शुरू में ही किसी मास्टर प्लान पर काम नहीं किया गया जिससे आज दिक्कतें आ रही है। सरकार को अब ऐसा प्लान तैयार करना होगा जो आने वाले 2 दशकों तक स्थिति को ध्यान में रखकर तैयार किया जाए और उसे धरातल पर उतारा जाए तभी इस चरमराती यातायात व्यवस्था का समाधान किया जा सकेगा।