राज्य में नेतृत्व परिवर्तन और पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह के कुछ फैसलों को पलट कर अपनी चुनावी चुनौती को आसान बनाने का सपना देखने वाली भाजपा को अब तक यह समझ आ चुका होगा कि उसके लिए यह बहुत आसान रहने वाला नहीं है। लोकलुभावन नारे और लच्छेदार भाषणों से बार—बार सत्ता हासिल कर पाना संभव नहीं हो सकता है। त्रिवेंद्र सिंह रावत ने जब सूबे की सत्ता संभाली थी तो भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम करने का खूब प्रचार किया था लेकिन वह 4 साल के अपने कार्यकाल में लोकायुत्तQ कानून लाने में भी नाकाम साबित हो गए। राज्य गठन से लेकर आज तक राज्य में भ्रष्टाचार की अविराम गंगा बह रही है। त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपने 4 साल में विकास के क्या काम किए उसमें सिर्फ उनकी घसियारी योजना के सिवाय कुछ भी नहीं है। उनके जिन फैसलों को लेकर जनता में नाराजगी थी तीरथ रावत उन फैसलों को पलट कर कुछ सिक्का जमाना चाहते थे कि कुम्भ पर कोरोना का साया पड़ने और कोरोना जांच में हुए फर्जीवाड़े ने सब कुछ धो कर रख दिया। इस फर्जीवाड़े पर अब तीरथ रावत इसे पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र के समय का बताकर और इसकी निष्पक्ष जांच कराने का दावा कर इसे रफा—दफा करने के प्रयास में जुटे हैं। लेकिन अब समय का पहिया उल्टा घूमता दिख रहा है कांग्रेस इसे सिर्फ भ्रष्टाचार नहीं मानवता की हत्या बता कर सरकार को कटघरे में खड़ा कर रही है वही चुनावी मैदान में ताल ठोकने को तैयार आम आदमी पार्टी के धरने प्रदर्शनों की आग अब भाजपा मुख्यालय तक जा पहुंची है। भाजपा नेताओं को यह समझ लेना चाहिए कि जिस कोरोना महामारी के प्रबंधन को लेकर सरकार पर फेल होने के आरोप लगाए जाते रहे हैं अब उन तमाम आरोपों की पुष्टि नैनीताल हाई कोर्ट द्वारा भी की जा रही है अदालत द्वारा कोरोना की दूसरी लहर में हुई मौतों के लिए साफ तौर पर सरकार को जिम्मेवार ठहराया जा चुका है। चार धाम यात्रा के प्रबंधन और तीसरी लहर से निपटने के लिए सरकार ने कोर्ट में जो शपथ पत्र दायर किया है कोर्ट ने गुमराह करने वाला बताकर रद्दी की टोकरी में डाल दिया है और सरकार को दोबारा शपथ पत्र देने को कहा है। पर असल में सत्ता में बैठे लोग सिर्फ बातें और वायदे ही करते हैं धरातल पर उनका कोई काम दिखाई नहीं देता है। कोर्ट की फटकार के बाद अब सरकार और अधिकारी सूबे के सभी स्वास्थ्य केंद्रों को कोविड सेंटर बनाने की बात कह रहे हैं मुख्यमंत्री तीरथ रावत तो सीएम आवास को भी कोविड सेंटर बनाते दिख रहे हैं। अभी उन्होंने राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं में 10 गुना वृद्धि का दावा किया। लेकिन उनका यह दावा भी आपदा प्रबंधन मंत्री धनसिंह के उस दावे जैसा ही था जिसमें 2 घंटे में सड़कों को खोलने की बात की गई थी लेकिन राज्य की तमाम सड़कें 400 घंटों से भी ज्यादा समय से बंद पड़ी हैं। भाजपा की कथनी और करनी का यह फर्क भले ही उसे समझ नहीं आ रहा हो लेकिन उस जनता को जरूर आ रहा है जो परेशानियां झेल रही है और जिसे 2022 में नई सरकार का चयन करना है।