बड़े नेताओं ने नहीं किया अपेक्षित सहयोग : पीएल पुनिया को कार्यकर्ताओं ने बताये हार के कारण

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  • नेताओं व कार्यकर्ताओं में एक जुटता का अभाव
  • टूटे हुए मनोबल के साथ जीत संभव नहीं

देहरादून। लोकसभा चुनाव में एक बार फिर सभी पांचो सीटों पर कांग्रेस को क्यों करारी हार का मुंह देखना पड़ा? इसके कारण तलाशने और चुनावी नतीजोे की समीक्षा करने के लिए केंद्रीय ऑब्जर्वर के रूप में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पीएल पुनिया अपने तीन दिवसीय दौरे पर देहरादून आए हुए हैं, जहां उन्होंने आज पार्टी के तमाम पदाधिकारियों और नेताओं के साथ बातचीत की।
उन्होंने कहा कि पार्टी को उस तरह के नतीजों की कतई भी उम्मीद नहीं थी जिस तरह के नतीजे आए। हार के पीछे क्या अहम कारण रहे इसे जानना जरूरी है। जिससे भविष्य में उस तरह की खामियों को दूर किया जा सके। आज उनके द्वारा नैनीताल और अल्मोड़ा संसदीय सीटों की समीक्षा की गई।
इस दौरान पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं द्वारा उनके सामने खुलकर अपनी बात रखी गई। प्रदेश के नेताओं के आपसी मतभेद और कार्यकर्ताओं की एकजुटता के अभाव के अलावा पार्टी के बड़े नेताओं के असहयोग की शिकायतें भी इस दौरान सामने आई। कार्यकर्ताओं ने अपनी बात उनके सामने रखते हुए कहा कि हारे मन के साथ कोई भी सेना कोई मैदान नहीं जीत सकती है। पार्टी के बड़े नेताओं ने प्रचार में जिस तरह की उदासीनता दिखाई और वह कुछ खास क्षेत्रों तक ही सीमित रहे इसका असर भी चुनाव परिणामों पर पड़ा।
उल्लेखनीय है कि बड़े नेताओं ने टिकट बंटवारे से पहले ही चुनाव न लड़ने का ऐलान कर दिया था ऐसी स्थिति में पार्टी के पुराने या कमजोर प्रत्याशियों को चुनाव मैदान में उतारना पड़ा। अल्मोड़ा सीट पर भाजपा के अजय टम्टा के मुकाबले प्रदीप टम्टा को तथा नैनीताल सीट पर भाजपा के अजय भटृ के मुकाबले प्रकाश जोशी को चुनाव मैदान में उतरा गया था, जो चार और तीन लाख से अधिक के मतांतर से हार गए। अगर सही और जिताऊ प्रत्याशी मैदान में होते तो यह हार इतनी बड़ी हार नहीं हो सकती थी। पीएल पुनिया तीन दिवसीय दौरे पर यहां आए हैं तथा वह सभी सीटों पर हार की समीक्षा करेंगे। जिसके बाद क्या निष्कर्ष आता है पता चल सकेगा। इस अवसर पर यशपाल आर्य ने कहा कि हार की समीक्षा जरूरी है। लगातार हार के पीछे क्या कारण है सामने आने चाहिए।

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