सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा भगदड़ में मौतों का मामला

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  • अब तक 72 की शिनाख्त, पोस्टमार्टम की प्रक्रिया जारी
  • योगी बोले दोषियों को छोड़ेंगे नहीं
  • घटनास्थल से साक्ष्य की तलाश जारी
  • पीड़ितों में आक्रोश, थम नहीं रहे हैं आंसू

    हाथरस। बीते कल जनपद हाथरस के गांव फुलरई में आयोजित बाबा नारायण सरकार हरी और भोले बाबा जैसे नामों से जाने जाने वाले प्रवचनकर्ता के सत्संग में भगदड़ के कारण भोले भाले 121 लोगों की मौत हो गई तथा 60—70 लोग घायल हों गये, जिनमें कई की हालत गंभीर बनी हुई है।
    मन और आत्मा को झकझोर देने वाली इस घटना के बाद हरकत में आए शासन—प्रशासन द्वारा अब बाबा की तलाश की जा रही है वही उसके कई चेले चपाटों को पुलिस हिरासत में लिया जा चुका है। आयोजको व बाबा सहित तमाम लोगों के खिलाफ अब तक सात एफआईआर दर्ज की जा चुकी है। बाबा व उसके 17 गुर्गो के फोन बंद है। उधर सीएम ने दोषियों के खिलाफ सख्त एक्शन के निर्देश दिए हैं। हाथरस जिला प्रशासन आज घटनास्थल और आसपास के क्षेत्र से साक्ष्य व मृतकों का सामान तलाशने तथा मृतकों की शिनाख्त और पोस्टमार्टम की कार्रवाई में जुटा हुआ है अब तक 72 मृतकों की पहचान हो गई है। वही आगरा, हाथरस और एटा के अस्पतालों में मृतकों का पोस्टमार्टम चल रहा है जिसके लिए डॉक्टरों की अतिरिक्त टीमें भेजी गई है। कल योगी भी घटनास्थल व अस्पतालों का दौरा करने वाले हैं।
    उधर खबर यह भी है कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में भी जनहित याचिका दायर की गई है। सवाल यह है कि इस आयोजन में सवा लाख लोगों को प्रशासन ने क्यों इकट्ठा होने दिया इसकी अनुमति किसने दी। दुर्घटना स्थल पर प्रशासन ने इंतजामों का जायजा क्यों नहीं लिया अस्पतालों में घायलों को इलाज क्यों नहीं मिल सका। जिस बाबा के द्वारा क्षेत्र में अपनी आडंबरों की दुकान और धंधा चलाने की बात अब सामने आ रही है उस पर पुलिस प्रशासन ने पूर्व में मुकदमा दर्ज होने के बाद भी शिकंजा क्यों नहीं कसा गया?
    कथा—प्रवचन और सत्संगों जैसे धार्मिक आयोजनों को अगर रोका नहीं जा सकता है तो इनके आयोजनों में आने वालों की संख्या पर तो सख्ती से रोक लगाई ही जा सकती है? इस आयोजन में सवा लाख लोगों की भीड़ जुटी तो क्या यह प्रशासन की बड़ी लापरवाही नहीं है? ऐसे ढोंगी और व्यवहाचारी बाबाओ से कैसे बचाया और इन अंध भक्तों की दौड़ को कैसे रोका जाए यह भी एक बड़ा सवाल है। ऐसे तमाम उदाहरण है कि यह बाबा अकूत संपत्ति के स्वामी चंद दिनों में बन जाते हैं और व्यवहाचार का धंधा करने लगते हैं ऐसे बाबाओं पर क्या पुलिस प्रशासन की नजर रखने की जिम्मेदारी नहीं है? पीड़ित अब अपनो के लिए आंसू बहा रहे हैं, प्रशासन जांच में जुटा है और बाबा फरार है।

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