तीर्थ पुरोहितों ने केदारधाम को राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने का जताया विरोध

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मुख्य सचिव को ज्ञापन भेजकर किया विरोध

देहरादून। देवस्थानम बोर्ड के विरोध की लड़ाई जीतने के बाद अब चारधाम के तीर्थ पुरोहित नहीं चाहते कि केदारनाथ धाम को सरकार द्वारा राष्ट्रीय धरोहर घोषित किया जाए। इसका विरोध करते हुए अब तीर्थ पुरोहितों ने इसे धार्मिक धरोहर से छेड़छाड़ और सरकारी दखल बताया है।
उल्लेखनीय है कि बीते दिनों सत्ता में बैठे लोगों द्वारा केदारनाथ को राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने की मांग उठाई गई थी। राज्य सरकार केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजकर केदारनाथ को राष्ट्रीय धरोहर घोषित कराने की प्रक्रिया शुरू करें इससे पूर्व ही तीर्थ पुरोहितों ने सरकार के इस कदम का विरोध शुरू कर दिया है। तीर्थ पुरोहितों द्वारा मुख्य सचिव एसएस संधू को ज्ञापन भेजकर इसका विरोध जताया है।
ज्ञापन में कहा गया है कि पहले सरकार द्वारा देवस्थानम बोर्ड का गठन कर आस्था के स्थलों में हस्तक्षेप का प्रयास किया गया और जब हमारे विरोध के बाद यह फैसला वापस ले लिया गया है तो सरकार हस्तक्षेप के दूसरे रास्ते तलाश रही है। उन्होंने कहा है कि इससे केदारनाथ के मूल स्वरूप को नुकसान हो सकता है। इसलिए केदारनाथ को राष्ट्रीय धरोहर घोषित नहीं किया जाना चाहिए।
यहां यह भी उल्लेखनीय है कि 2013 की केदारनाथ आपदा के बाद केदारघाटी का पूरा नक्शा ही बदल गया था। आदि बद्रीनाथ की प्रतिमा से लेकर यहां तमाम नव निर्माण के काम केंद्र सरकार द्वारा कराए गए हैं। एक अन्य महत्वपूर्ण बात यह है कि राज्य सरकार या मंदिर समिति इसके पुनर्निर्माण का काम नहीं करा सकी जिसके कारण ही केंद्र सरकार और पीएम मोदी ने इसकी जिम्मेदारी संभाली। अगर इसे राष्ट्रीय धरोहर घोषित कर दिया जाता है तो इसके रखरखाव का जिम्मा भी केंद्र सरकार का होगा। लेकिन तीर्थ पुरोहितों को इसमें आपत्ति है। उन्हें शायद ऐसा लगता है कि इससे सारी व्यवस्थाएं उनके हाथ से निकल जाएगी।

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