नेताओं को चेतावनी देता फैसला

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एक महिला और उसकी नाबालिग बेटी से दुष्कर्म के आरोपी उत्तर प्रदेश की सपा सरकार में काबीना मंत्री रहे प्रजापति और उनके दो सहयोगियों को एमपी व एमएलए कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाकर देश के उन तमाम नेताओं और जनप्रतिनिधियों को एक कड़ी चेतावनी वाला संदेश दिया है कि सत्ता की हनक और ऊंचे रसूख भी उन्हें किसी जघन्य अपराध की सजा से नहीं बचा सकते हैं। यह बात सहज समझी जा सकती है कि एक पूर्व मंत्री के खिलाफ न्याय की इस लड़ाई को अंजाम तक पहुंचाने के लिए पीड़ितों को कितने पापड़ बेलने पड़े होंगे। नेताओं की दबंगई से लेकर पुलिस—प्रशासन के असहयोग और अदालती व कानूनी दांव—पेचों की कितनी मुश्किलों से दो—चार होना पड़ा होगा इसका अनुमान हर एक आम आदमी सहज लगा सकता है। एक महिला और उसकी नाबालिग बेटी के लिए यह लड़ाई आसान नहीं थी। जिस व्यवस्था में पुलिस और प्रशासन का काम सत्ता की चाटुकारिता मात्र रह गया और वह आम नागरिक एक एफआईआर तक नहीं दर्ज करती हो उससे आप या कोई आदमी अपने अधिकारों की सुरक्षा की क्या उम्मीद कर सकता है। इस मामले में भी पीड़िता को अपनी एफआईआर दर्ज कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा। भला हो सुप्रीम कोर्ट का जिसके आदेश पर पीड़िता का मुकदमा दर्ज हो सका। इस पूरे प्रकरण में पुलिस का रवैया भी शर्मसार करने वाला ही रहा। राजनीति और पुलिस प्रशासन में गहरी पैठ रखने वाले गायत्री प्रजापति और उसके गुर्गे पीड़िता को डराते धमकाते रहे। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कहीं जाकर 2017 में मुकदमा दर्ज हो सका और आरोपियों की गिरफ्तारी हो सकी। अगर देश की राजनीति की बात करें जिसे अपराधियों से मुक्ति दिलाने के दावे सभी दलों द्वारा किए जाते हैं। प्रजापति जिसके खिलाफ अनेक आपराधिक मामले दर्ज हैं उसे टिकट देने और मंत्री बनाने वाली समाजवादी पार्टी ने जरा सा भी संकोच नहीं किया। 2017 के चुनाव में सपा ने उसे टिकट दिया था जबकि 2012 के चुनाव में जीत के बाद खनन मंत्री रहते हुए गायत्री ने इस जघन्य अपराध को अंजाम दिया था। 2017 में अगर सुप्रीम कोर्ट द्वारा एमएलए और एमपी और जनप्रतिनिधियों से जुड़े आपराधिक मामलों को निपटाने के लिए विशेष अदालतों का गठन व निश्चित समय अवधि में उनके निपटारे के निर्देश अगर नहीं दिए गए होते तो पता नही अभी इस मामले के आरोपियों को कितने सालों बाद सजा मिल पाती। खैर अब प्रजापति और उसके साथियों को अपनी पूरी जिंदगी जेल में गुजारनी पड़ेगी। इस फैसले से अदालत ने देश के तमाम नेताओं को एक कड़ा संदेश जरूर दिया है कि अपराधी चाहे कितनी भी ऊंची पहुंच रखता हो कानून से नहीं बच सकता है। यह फैसला इसलिए भी ऐतिहासिक है क्योंकि यह भविष्य की सुरक्षा की उम्मीद भी जगाने वाला है।

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