मां—बेटी के साथ दरिंदगी करने वालों पर कार्रवाई कब?

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5 दिन बाद भी कोई गिरफ्तारी नहीं
पीड़ितों से मिलने के लिए नेताओं का तांता
शासन—प्रशासन की खामोशी हैरान करने वाली

रुड़की/देहरादून। 5 दिन पूर्व रुड़की क्षेत्र में एक मंा व उसकी अबोध बच्ची के साथ दुष्कर्म के मामले को शासन प्रशासन द्वारा जिस तरह हल्के में लिया गया वह हैरान करने वाला है। घटना के तीन—चार दिन बाद सूबे के नेताओं को पीड़ितों की याद आई और उनसे मिलने वालों का तांता लगा हुआ है। वह भी तब जब इसे लेकर लोगों में आक्रोश की आग सुलगने लगी है।
इस सनसनीखेज घृणित वारदात को 24 जून की रात उस समय अंजाम दिया गया जब यह महिला कलियर से अपनी बच्ची के साथ रुड़की आ रही थी। लिफ्ट देने के नाम पर कार में बैठने वाले तीन—चार युवकों द्वारा इस शर्मनाक घटना को अंजाम दिया गया और मां—बेटी को सामूहिक दुष्कर्म के बाद गंग नहर थाना क्षेत्र में फेंक कर आरोपी फरार हो गए। पीड़ित महिला आरोपियों में से एक को पहचानती है बावजूद इसके अभी तक पुलिस आरोपियों को गिरफ्तार नहीं कर सकी है।
खास बात यह है कि जब महिला आयोग की अध्यक्ष कुसुम कंडवाल पीड़ितों तक पहुंची और कांग्रेस के नेताओं ने भी रुड़की का रुख करना शुरू कर दिया तथा इस घटना के विरोध में धरने प्रदर्शन शुरू हो गए तब सत्ता पक्ष के लोग भी हरकत में आए। बीते कल कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा के दौरे के बाद आज भाजपा विधायक प्रदीप बत्रा और आम आदमी पार्टी के नेताओं को भी यह एहसास हुआ कि अब यह मामला राजनीतिक रंग लेता जा रहा है।
विपक्षी दलों की सक्रियता का असर अब पुलिस प्रशासन पर भी दिख रहा है। घटना के मुख्य आरोपी की धरपकड़ को लेकर पुलिस भी भागदौड़ करती दिख रही है तथा मुख्य आरोपी पर पुलिस द्वारा 10 हजार का इनाम भी घोषित कर दिया गया है। महिला आयोग की अध्यक्ष ने भी डीआईजी पी. रेणुका से वार्ता कर मामले में सख्त कार्रवाई करने की मांग की है। लेकिन इस मामले में प्रदेश की सरकार अभी असंवेदनशील बनी हुई है। मुख्यमंत्री धामी ने अब तक इस अति गंभीर मुद्दे पर दो शब्द भी नहीं बोले हैं। अगर वह अधिकारियों को निर्देशित करते और सख्त रुख दिखाते तो अब तक अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो सकती थी।
सवाल यह है कि क्या उत्तराखंड की यह घटना दिल्ली के उस निर्भया कांड से कम गंभीर है जिसे लेकर देश की राजधानी से लेकर पूरे देश में हंगामा मच गया था। पीड़ित मां और उसकी 6 साल की मासूम के साथ हुई इस दरिन्दगी की घटना ने समाज और शासन प्रशासन पर जो सवाल खड़े किए हैं उनकी जवाबदेही आखिर किसकी है? यह सवाल आज हर किसी के मन में उठ रहा है। अच्छा हो कि इस मुद्दे पर राजनीति की बजाय गुनाहगारों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो।

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