अब की बार किसकी सरकार?

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क्या मोदी मैजिक फिर करेगा भाजपा का बेड़ा पार
क्या महंगाई, बेरोजगारी पर कांग्रेस भाजपा को करेगी तड़ीपार
आप ने बढ़ाई नेताओं की धड़कनें और उलझने

देहरादून। उत्तराखंड में अब की बार किसकी सरकार? मतदान के बाद अब यह अहम सवाल सभी के मन को मथ रहा है। इस बार क्या एक बार भाजपा और एक बार कांग्रेस की सरकार के मिथक को तोड़ कर क्या भाजपा लगातार दो बार सरकार बनाने का चमत्कार करके दिखायेगी या फिर कांग्रेस पुरानी परंपरा को बरकरार रखते हुए सत्ता का सिंहासन हासिल करने में सफल रहेगी?
मतदान के बाद यह साफ हो गया है कि मतदान के प्रतिशत में इस मुद्दे पर किसी को भी कयास लगाने का मौका नहीं छोड़ा है। क्योंकि मतदान प्रतिशत विगत से हो रहे विधानसभा चुनाव के इर्द—गिर्द ही रहा है। उसमें कोई खास उछाल या गिरावट नहीं रही है। जिसे सत्ता विरोधी या विपक्ष विरोधी रुझान के रूप में देखा जा सके। भाजपा एक बार फिर मोदी मैजिक के दम पर 60 पार का सपना संजोए बैठी है, तो वहीं कांग्रेस प्रदेश सरकार की नाकामियों के दम पर भाजपा को तड़ीपार करने का दावा ठोक रही है। इस चुनाव में पीएम मोदी की जो ताबड़तोड़ चुनावी जनसभाएं हुई वह भी यही बताती है कि प्रदेश भाजपा की सरकार को अपने पर नहीं मोदी के मैजिक पर अधिक भरोसा है और अगर 2017 की तरह मोदी का जादू चला तो भाजपा की सफलता सुनिश्चित है और मोदी का जादू नहीं चला तो भाजपा को बहुमत के जादुई आंकड़े को छू पाना मुश्किल हो जाएगा।
वर्तमान चुनाव में आम आदमी पार्टी के कूदने और मुफ्त की राजनीति की घोषणा का भी प्रभाव पड़ना तय है। आम आदमी पार्टी जिसके बारे में कांग्रेस द्वारा उसे भाजपा की बी टीम बताया जाता रहा है अगर वह वास्तव में भाजपा की बी टीम साबित होती है और उसके आने से कांग्रेस का वोट प्रतिशत प्रभावित होता है तो वह भाजपा के लिए वरदान साबित हो सकती है, लेकिन मतगणना से पूर्व इसकी पुख्ता तौर पर गारंटी नहीं दी जा सकती है कि आप के आने से किसे कितना लाभ होगा या किसे कितना नुकसान। आप ने भाजपा व कांग्रेस दोनों ही दलों के नेताओं को उलझन में जरूर डाल दिया है।
भाजपा जिसका राज्य गठन से लेकर अब तक लगातार मत प्रतिशत चुनाव दर चुनाव बढ़ता ही रहा है 2002 मेंं भाजपा का मत प्रतिशत 26.9 फीसदी रहा था जो 2017 में अपने सर्वश्रेष्ठ स्तर पर 46.5 फीसदी तक पहुंच गया इस चुनाव में भाजपा ने 70 में से 57 सीटें जीत कर नया रिकॉर्ड बनाया था सवाल यह है कि क्या इस बार भी भाजपा का मत प्रतिशत बढ़ेगा? अगर ऐसा हुआ तो फिर भाजपा का अब की बार 60 पार का सपना भी पूरा हो सकता है लेकिन अगर यह नीचे गिरता है तो वह भाजपा को तड़ीपार भी कर सकता है। क्योंकि कांग्रेस 2017 में तड़ीपार के बावजूद भी अपने वोट प्रतिशत को 33 प्रतिशत से ऊपर रखने में सफल रही थी।
मतदान के बाद दोनों राजनीतिक दलों के नेताओं की धड़कनें बढ़ी हुई हैं। भले ही जीत के दावे दोनों दल कर रहे हो लेकिन अपनी जीत का पक्का भरोसा किसी को भी नहीं है कुछ राजनीतिक समीक्षक इस बार के चुनाव व परिणामों के चौंकाने वाले होने की बात भी कर रहे हैं। लेकिन ईवीएम की सील खुलने पर ही यह तय हो पाएगा की अब की बार किसकी बनेगी सरकार।

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