जब बन रही है सरकार तो फिर काहे का डर?

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36 का आंकड़ा डरा रहा है सभी को
सीएम उम्मीदवारों की नींद हराम

नई दिल्ली/देहरादून। भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों के बड़े नेताओं द्वारा राज्य में अपनी सरकार बनने के दावे किए जा रहे हैं लेकिन इससे इतर सच्चाई यह है कि दोनों ही दलों के नेता इस बात से डरे हुए हैं कि कहीं वह 36 के आंकड़े से पीछे तो नहीं रह जाएंगे और अगर ऐसा हुआ तो फिर क्या होगा?
मुख्यमंत्री धामी जो चार दिनों से दिल्ली में जमे हुए हैं उन्होंने आज भी पत्रकारों से बात करते हुए वही बात दोहराई जिसे वह मतदान के बाद से हर रोज लगातार एक—दो बार कहते हैं। हमारी सरकार बन रही है, हम फिर सत्ता में आ रहे हैं। चार दिन पूर्व जब वह दिल्ली गए थे तो कहा जा रहा था कि कल वापस लौट आएंगे, लेकिन जेपी नड्डा से मिलने के लिए काशी तक दौड़ लगानी पड़ी और वह अभी दिल्ली में ही जमे हुए हैं। अभी चंद दिन पूर्व डॉ निशंक को जेपी नड्डा ने दिल्ली बुलाया था। खबर आई थी संभावित चुनाव परिणामों पर चर्चा हुई, लेकिन चर्चा यह भी है कि अगर निर्दलीयों के सहयोग से सरकार बनानी पड़ी तो इस पर चर्चा की गई।
भाजपा ही नहीं बल्कि कांग्रेसी नेताओं में भी इस बात को लेकर चर्चाएं आम हैं कि यह हो सकता है कि कांग्रेस कुछ सीटोंं में पिछड़ जाए और उसे बहुमत के लिए बसपा या निर्दलीय विधायकों का सहयोग लेना पड़े। कांग्रेसी नेता अपने विधायकों को एकजुट रखने और समर्थन के मुद्दे पर खासे सतर्क नजर आ रहे हैं। बहुमत से कम सीटें मिलने के मुद्दे पर वह नेता खासतौर से ज्यादा परेशान दिख रहे हैं जो सीएम की दौड़ में हैं। वह चाहे धामी हो या फिर हरीश रावत। इसे लेकर दोनों ही दलों के नेता खासे बेचैन हैं भले ही उनके द्वारा अपनी—अपनी जीत के बड़े—बड़े दावे किए जा रहे हो। खास बात यह है कि भाजपा और कांग्रेस दोनों के ही नेता यह जानते हैं कि इस बार टक्कर कांटे की है और चुनाव परिणाम एक तरफा नहीं रहने वाले हैं। 36 का यह आंकड़ा सभी को डरा रहा है।

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