हाई कोर्ट की सख्ती के बाद हुई हरक के ठिकानों पर छापेमारी

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  • हाईकोर्ट में अब 1 सिंत (कल) को होगी सुनवाई

देहरादून। कांग्रेस नेता डा. हरक सिंह रावत के खिलाफ बीते कल हुई विजिलेंस की कार्रवाई हाईकोर्ट की सख्ती के कारण हुई है। इस बात का खुलासा इस मामले को देख रहे चीफ स्टैंडिंग काउंसिल के एक पत्र से हुआ है। बीते 21 अगस्त को हाईकोर्ट द्वारा पूछा गया था कि इस मामले में अब तक वन मंत्री के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई है कोर्ट का कहना था कि इतने गंभीर आरोपों के बाद भी अगर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है तो क्यों न इस मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी जाए। कोर्ट द्वारा 1 सितंबर को होने वाली सुनवाई में अब तक की गई कार्रवाई की स्टेटस रिपोर्ट पेश करने को कहा गया था।
हाईकोर्ट में अब कल होने वाली सुनवाई में डा. हरक सिंह के ठिकानों पर की गई कार्रवाई की जानकारी और क्या कुछ इस कार्रवाई में मिला है इसकी पूरी जानकारी दी जा सकेगी। भले ही हरक सिंह द्वारा मीडिया को यह बताया जा रहा हो कि उनके कॉलेज और पेट्रोल पंप से जो जनरेटर जिनकी कीमत लाखों में है, के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं थी लेकिन उनका यह तर्क किसी के भी गले नहीं उतरता है कि उन्हें यह दान में डीएफओ द्वारा दिए गए थे या फिर उन्हें इसके बारे में जानकारी नहीं थी कि इनकी खरीद सरकारी पैसे से की गई है।
पाखरो रेंज में उनके वन मंत्री रहते अनेक बड़े—बड़े निर्माण कार्य कराए गए तथा व्यापक स्तर पर टाइगर सफारी योजना के अंतर्गत पेड़ों का कटान किया गया जिनके बारे में अब डा. हरक सिंह का कहना है कि जो कुछ किया गया वह सब कुछ वाइल्डलाइफ और केंद्र सरकार की अनुमति से ही किया गया है। उनका कहना है कि 700 पेड़ तो क्या बिना सरकार की अनुमति के कोई सात पेड़ भी नहीं काट सकता है। लेकिन कुल मिलाकर इन कामों की ऑडिट रिपोर्ट में व्यापक स्तर पर अनियमिताओं की बात सामने आने और इस मामले के हाईकोर्ट तक पहुंचने तथा डीएफओ और वन रेंजर की गिरफ्तारी के बाद पूर्व वन मंत्री हरक सिंह अगर यह सोच बैठे हैं कि यह आग उन तक नहीं पहुंचेगी तो शायद वह मुगालते में है। इस छापेमारी के समय को लेकर जो सवाल कांग्रेस उठा रही थी वह चुनाव नहीं अपितु हाईकोर्ट द्वारा दी गई वह टाइमलाइन ही मुख्य कारण है जिसमें हाईकोर्ट ने एक सितंबर तक का समय यह कह कर दिया था कि वह इसकी जांच सीबीआई को भी सौंप सकती है।


भ्रष्टाचारी था तो मुझे मंत्री क्यों बनायाः हरक


देहरादून। पूर्व काबीना मंत्री डा. हरक सिंह इस विजिलेंस के छापे और भाजपा नेताओं के बयानों से इतने आहत है कि उनका कहना है कि अगर मैं भ्रष्टाचारी था तो भाजपा ने मुझे मंत्री क्यों बनाया। मैने भाजपा छोड़ दी तो अब मैं भ्रष्टाचारी हो गया। उन्होंने कहा कि यह उनके खिलाफ राजनीतिक षड्यंत्र है। 2016 के स्टिंग ऑपरेशन मामले में खुद हाईकोर्ट से सीबीआई जांच का आवेदन करने के मामले में उनका कहना है कि वह कोर्ट से अपना आवेदन वापस लेंगे।

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