गंगोत्री—यमुनोत्री धाम के कपाट खुले

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सैकड़ों श्रद्धालुओं ने दर्शन कर कमाया पुण्य
चार धाम यात्रा का आगाज, श्रद्धालुओं में हर्ष

उत्तरकाशी। मां गंगा और मां यमुना के जयकारों और बैंड बाजों की धुनों के बीच मंत्रोच्चारण व पारंपरिक रीति नीति के साथ आज गंगोत्री धाम और यमुनोत्री धाम के कपाट श्रद्धालुओं के दर्शनों के लिए खोल दिए गए हैं।
तय कार्यक्रम के अनुसार बीते कल अपने शीतकालीन प्रवास स्थल मुखवा से रवाना हुई मां गंगा की चल विग्रह डोली कल शाम भ्ौरव घाटी पहुंच गई थी जहां से आज सुबह मां गंगा की डोली वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ अपने धाम रवाना हुई जहां पर समय 11.15 बजे मंदिर के कपाट खोले गए और मां गंगा को गद्दी नशीन किया गया। उधर आज सुबह अपने शीतकालीन प्रवास खरसोली से मां यमुनोत्री की डोली गाजे बाजे के साथ धाम को रवाना हुई। डोली की विदाई के समय स्वयं आगे भाई शनि देव सोमेश्वर महाराज भी उनके साथ यमुनोत्री धाम पहुंचे। मां गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट खुलने के साथ ही आज से विधिवत रूप से चारधाम यात्रा का आगाज भी हो गया है। इस दुर्लभ संयोग के आज सैकड़ों श्रद्धालू साक्षी बने। दोनों धामों में सीएम धामी ने प्रधानमंत्री मोदी के नाम की पहली पूजा कराई गई।
ग्रीष्मकालीन के 6 माह के लिए माँ गँगा जी की भोगमूर्ति एक भव्य उत्सव डोली में बैठकर हजारों श्रद्धालुओं के साथ गाजे बाजों व सेना की बैंड धुन के साथ गंगोत्री के लिए अक्षय तृतीया के एक दिन पहले गंगोत्री तीर्थ के लिए रवाना होती हैँ। इस दिन माँ गंगा जी की यात्रा भ्ौरों घाटी के भ्ौरव मंदिर में विश्राम करती हैं।
अक्षय तृतीया को सुबह यात्रा भव्य व विशाल जनसमूह के साथ अपने गंतव्य को निकाल पड़ती हैं। गंगोत्री पहुंचते पहुंचते यात्रा में हजारों श्रद्धालु शामिल हो जाते हैं। माँ गंगा के जयकारों व उदघोष के ढोल नगाड़ों व सेना के बैंड की धुन व शंखनाद के साथ साथ समूची गंगोत्री घाटी व हिमालय गूँज उठता है। समूचा धार्मिक वातावरण अति शोभायमान हो जाता है।
गंगोत्री पहुंचते ही माँ गंगा के जयकारों के साथ गंगोत्री में वहाँ पहले से ही मौजूद हजारों श्रद्धालु माँ गंगा जी की शोभा यात्रा का माँ गंगा जी के जयकारों के साथ धूप अगरबत्ती फूल मालाओं से स्वागत करते हैं।
गंगोत्री मुख्य मंदिर में पहुंचने के बाद सर्वप्रथम उत्सव डोली भव्य शोभायात्रा माँ गँगा की बहती निर्मल, अविरल, दिव्य धारा में पूजा स्नान के साथ वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पूजा अर्चना व माँ गंगा की स्तुति की जाती है। इसी के साथ यात्रा जत्था माँ गंगा जी के तट पर विराजमान भागीरथ शिला की पूजा की जाती है।
इन सबके बाद मुख्य गंगोत्री मंदिर प्रांगण में मां गँगा जी की भव्य स्तुति गान, पूजा, अनुष्ठान, वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पूजन किया जाता है। पूजा समापन के साथ ही गंगोत्री मुख्य मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिये जाते हैं। कपाट खुलने के पलों का हजारों श्रद्धालु साक्षात बनने की होड़ में रहते हैं। कपाट खुलते ही माँ गँगा जी की डोली व भोगमूर्ति मंदिर के गर्भगृह में स्थापित की जाती हैं।
बता दें कि गंगोत्री मुख्य मंदिर में माँ गंगा जी की विशाल शिला मूर्ति पहले से ही विराजमान रहती हैं। कपाट खुलने व कपाट बंद होने पर गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ व बद्रीनाथ जी की भोगमूर्ति ही अपने शीतकालीन मंदिरों में पूजी जाती हैं।

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