जो देश की बेटी 140 करोड़ देशवासियों के लिए पेरिस ओलंपिक से स्वर्ण पदक लेकर आने वाली थी और देश के लोग उसके स्वागत की तैयारियों में जुटे थे उसका 100 ग्राम वजन अधिक होने के कारण उसे डिसक्वालीफाई कर दिया जाना मानवीय चूक है या कि विनेश के साथ रचा गया कोई षड्यंत्र इस सवाल पर भारतीय ओलंपिक संघ से जुड़े अधिकारी और सत्ता में बैठे लोग भले ही लाख सफाईयंा पेश कर ले लेकिन उस पर देश के लोग कभी यकीन नहीं कर सकते हैं। एक दिन पूर्व विनेश ने लगातार तीन मुकाबलों में तीन चौंपियनों को पछाड़कर फाइनल में प्रवेश किया था और देश के लिए मेडल पक्का किया था वह रातों—रात दो ढाई किलो ओवरवेट कैसे हो गई? खास बात यह है की पूरी रात वेट कंट्रोल की कोशिश के नाम पर एक्सरसाइज और बाल तथा नाखून काटने और खून तक निकाले जाने की जो बात सामने आ रही है वह हैरान करने वाली है। ऐसा लगता है कि जैसे उसे अपने ही लोगों द्वारा इतना टॉर्चर किया गया कि उसे अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। सवाल इस बात का है कि खिलाड़ियों से अधिक संख्या में सरकारी पैसे पर जाने वाले अधिकारी, कोच और फीजियो की टीमें क्या कर रही थी? ओलंपिक का एक नियम यह भी है कि अगर कोई खिलाड़ी मैदान में न उतरे तथा स्वयं इंजर्ड घोषित कर देता है तो उसे उपविजेता मान लिया जाता है। अगर विनेश का वजन बढ़ गया था तो भारतीय अधिकारी उसे क्या जानबूझकर डिसक्वालीफाई कराने के लिए वजन कराने के लिए लेकर गए थे। वह चाहते तो विनेश को इंजर्ड भी घोषित कर सकते थे तब भी वह कम से कम स्वर्ण नहीं तो रजत पदक की तो हकदार बन ही सकती थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। यह सब सवाल बेवजह नहीं है। सिस्टम और सत्ता में बैठे लोग जो विनेश और अन्य महिला पहलवानों के करियर को खत्म करने की चेतावनियां देते रहे हैं क्योंकि उन्होंने महिला रेसलरों के यौन व शारीरिक उत्पीड़न के खिलाफ लंबा आंदोलन चलाया था। अगर सरकार और सिस्टम ने इस देश की बेटी के खिलाफ कोई षड्यंत्र रचा है तो इतिहास और इस देश की जनता उन्हें कभी माफ नहीं कर सकती है। कल जब विनेश को डिसक्वालीफाई कर दिया गया तो खेल मंत्री संसद में जिस तरह उन पर किए गए खर्च के रुपए गिना रहे थे उससे ज्यादा शर्म की बात क्या कुछ और हो सकती है फाइनल में पहुंचने पर उसे पीएम बधाई नहीं देते लेकिन डिसक्वालीफाई होने पर उन्हें सांत्वना देने में पल भर भी देरी न करते। लोग आज तमाम सवाल उठा रहे हैं इन सवालों के बीच विनेश ने अपनी मां को एक ट्यूट कर कहा है कि मां कुश्ती मेरे से जीत गई और मैं हार गई। मां मुझे माफ करना आपका सपना और मेरी हिम्मत सब कुछ टूट चुका है। मैं आप सभी की हमेशा ऋणी रहूंगी, अलविदा कुश्ती। 2016 में अपना पहला ओलंपिक खेलने वाली इस देश की बेटी की कुश्ती का सफर 2023 में सड़कों पर घसीटे जाने और 2024 में स्वर्ण पदक जीतने के करीब जाकर बिना किसी मेडल के घर वापसी के साथ समाप्त होगा यह किसी भी देशवासी के लिए एक बुरे सपने से कम नहीं। विनेश इस कुश्ती में अगर कोई जीता है तो वह सिर्फ तुम ही हो। हार तो इस देश के सिस्टम और सरकार की है यह तुम्हारी हार नहीं हो सकती है।