अमानवीय व अक्षम्य अपराध

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बीते दो—तीन माह से मणिपुर जिस अलगाव की आग में जल रहा है उसके लिए इस देश की राजनीति ही जिम्मेदार है। वर्तमान में जो 2 महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाने की घटना का जो वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है और जिसे लेकर अब पूरे देश में हंगामा मचा हुआ है वह 4 मई का है जब आरोपियों ने 3 महिलाओं को कपड़े उतारने और एक के साथ सामूहिक बलात्कार करने तथा उसके छोटे भाई को विरोध करने पर हत्या करने की घटना को अंजाम दिया गया था। 77 दिन तक इस मामले को छिपाने का प्रयास किया जाना हमारे सिस्टम की उस हकीकत को बयां करता है जो पूरी तरह से सड़ गल चुका है। 48 दिन बाद 21 जून को पुलिस ने इस मामले में रिपोर्ट दर्ज की और 77 दिन बाद बीते कल मुख्य आरोपी की गिरफ्तारी हो सकी है। राजनीति के गिरते चरित्र को देखिए कि अब इस वीडियो के वायरल होने पर प्रधानमंत्री और गृहमंत्री इसे देश के सभ्य समाज के लिए शर्म की बात कह रहे हैं और दोषियों को सजा दिलाने की बात कह रहे हैं। अगर यह वीडियो वायरल नहीं होता और सुप्रीम कोर्ट इस पर स्वतः संज्ञान न लेता, वह सरकार को चेतावनी नहीं देता कि या तो वह स्वयं कुछ करें अन्यथा उन्हें कुछ करने पर विवश होना पड़ेगा या फिर इसे लेकर संसद सत्र के पहले ही दिन हंगामा खड़ा नहीं होता तो यह घटना इन नेताओं के लिए कभी शर्म की बात नहीं होती। आजादी के अमृत काल का महोत्सव मनाने वाले देश के नेताओं के लिए यह चिंतनीय सवाल है कि अपनी सभ्यता और संस्कृति तथा विकास का ढोल पूरे विश्व में पीटने और भारत को विश्व गुरु बनाने का दावा करने वालों का यह देश 21वीं सदी में कहां खड़ा है? द्रोपदी मुर्मू को राष्ट्रपति की कुर्सी पर बैठा कर आप क्या सिद्ध करना चाहती थे? जिन महिलाओं के साथ यह दरिंदगी हुई क्या वह आदिवासी महिलाएं नहीं है? फिर क्यों उन्हें इंसाफ दिलाने की जगह आपके द्वारा इस घटना को छिपाने की कोशिशें की गई। अभी बीते दिनों गृहमंत्री खुद लंबे समय तक मणिपुर में डेरा डाले रहे थे क्या उन्हें किसी ने भी इस शर्मसार करने वाली घटना की जानकारी नहीं दी सवाल बहुत सारे हैं। अभी बीते दिनों जब मध्य प्रदेश से एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें एक भाजपा नेता आदिवासी युवक पर पेशाब कर रहा था इसके बाद सीएम शिवराज द्वारा उस आदिवासी के पैर पखार कर उसका सम्मान करते दिखे जिसकी तस्वीरें सभी टीवी चैनलों पर देखी गई। सवाल यह है कि वोट के लिए यह दिखावे की राजनीति कब तक की जाएगी। कुछ लोग अब यह सवाल उठा रहे हैं कि यह वीडियो संसद सत्र शुरू होने के एक दिन पहले ही क्यों आया? इन लोगों से पूछा जाना चाहिए कि उनका राजनीतिक चश्मा आखिर कब उतरेगा? क्या उनके लिए इस वीडियो के वायरल होने का समय ही समस्या है जिन महिलाओं के साथ ऐसी घटना घटी जिसे देखकर किसी का भी खून खौलने लगे उनके लिए यह घटना कोई घटना ही नहीं है। जिस घटना के कारण देश का सिर शर्म से झुक जाए उस पर अगर इन नेताओं को शर्म नहीं आ रही है तो इससे ज्यादा बड़ी शर्मिंदगी की बात और क्या हो सकती है? अब जब इस मामले ने इतना तूल पकड़ लिया है तो दोषियों को सजा भी मिलेगी और पीड़ितों को इंसाफ भी। लेकिन इस तरह की घटनाएं किसी भी कीमत पर स्वीकार्य नहीं होनी चाहिए और इन्हे हर हाल में रोके जाने की जरूरत है। सवाल विश्व भर में देश की बदनामी का नहीं है बल्कि जिनके साथ दरिंदगी हुई उनके दर्द का है। जो हुआ अति निंदनीय है और अति पीड़ादायक है इस अक्षम्य अपराध के लिए दोषियों को कड़ी सजा मिलनी ही चाहिए।

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