बीते कल एसटीएफ ने जिस फर्जी डॉक्टरों के रैकेट का भंडाफोड़ किया है वह वास्तव में चौंकाने वाला है। सबसे अधिक चौंकाने वाली बात जो सामने आई है वह है राज्य में इस तरह 36 और फर्जी डॉक्टरों की मौजूदगी की बात। एसटीएफ द्वारा अभी सिर्फ दो डॉक्टरों को जो रायपुर और प्रेम नगर में फर्जी डिग्रियों से अपने क्लीनिक चला रहे थे गिरफ्तार किया गया है। बाकी की तलाश की जा रही है संभावना यह भी जताई गई है कि इसमें से कुछ फर्जी डिग्री वाले डॉक्टर सरकारी सेवाओं में भी हो सकते हैं। एसटीएफ द्वारा मुजफ्फरनगर से फर्जी डिग्रियां बेचने वाले बाबा ग्रुप ऑफ कॉलेज के संचालक को भी गिरफ्तार किया गया है जिसने इस गोरखधंधे के लिए 108 बीघा जमीन पर यह कालेज खड़ा कर रखा था। हैरान करने वाली बात यह है कि दसवीं पास दो भाइयों ने कैसे बीएएमएस की फर्जी डिग्रियां बनवा ली गई जबकि इनका पंजीकरण जहां से डिग्री ली जाती है उस राज्य में तथा भारतीय चिकित्सा परिषद में कराया जाना जरूरी होता है। एसटीएफ को संदेह यह भी है कि इस फर्जीवाड़े में आईएमसी के कुछ अधिकारियों और कर्मचारियों की भी संलिप्तता हो सकती है। यह मामला कितना बड़ा है इसमें कौन—कौन दोषी हैं? अब यूकेएसएसएससी भर्ती घोटाले की तरह इसकी भी लंबी जांच चलेगी और एक से बड़े एक नाम सामने आ सकते हैं। एसटीएफ ने यूपी शासन प्रशासन को भी इसकी जानकारी दे दी गई क्योंकि इस फर्जीवाड़े का संचालन का केंद्र यूपी का मुजफ्फरनगर है। अभी भले ही इसका पूरा सच सामने नहीं आया है लेकिन यूपी और उत्तराखंड सहित सैकड़ों की संख्या में फर्जी डिग्री लेकर लोग डॉक्टरी का अपना पेशा चला रहे हैं। सबसे अहम बात यह है कि बिना मेडिकल साइंस की पढ़ाई किए इन लोगों से आम लोगों की जान को सबसे बड़ा खतरा है। जब राजधानी दून से ऐसे 2 डॉक्टर पकड़े जा चुके हैं जो सालों से अपना क्लीनिक खोले बैठे हैं और रोज सैकड़ों मरीजों का इलाज कर रहे हैं तब फिर अगर राज्य में ऐसे ही 36 और डॉक्टर होने की बात कही जा रही है तो इन्हें तलाशा जाना जरूरी है जिससे इनकी दुकानें बंद हो सके। हालांकि अब जब मामले का खुलासा हो ही चुका है तो इनकी तलाश कोई मुश्किल काम नहीं है अब तक इन तमाम फर्जी डिग्री धारक डॉक्टरों तक यह खबर पहुंच चुकी होगी अब वह खुद ही अपना दवाखाना बंद कर फरार होने की कोशिशों में जुट चुके होंगे। लेकिन यह कितनी अजीब सी बात है कि डॉक्टर फर्जी, शिक्षक फर्जी, कर्मचारी फर्जी क्या इस देश में अब सिर्फ फर्जी ही बचे हैं। रातों—रात बिना कुछ किए डॉक्टर, इंजीनियर बनने और करोड़ों कमाने की लालसा रखने वाली युवा पीढ़ी आखिर जा कहां रही है। और करना क्या चाहती है? क्या इस पीढ़ी को इस बात का कतई भी एहसास नहीं है कि जिस दिन पकड़े गए उनकी पूरी जिंदगी बर्बाद हो जाएगी। अपराध की दुनिया में शायद किसी को भी अपनी जान की चिंता नहीं है तो फिर आम आदमी की जान की क्या चिंता हो सकती है।