बीते कल ऋषिकेश में एसटीएफ ने कॉमन सर्विस सेंटर पर छापा मारकर 3 लोगों को गिरफ्तार किया जो देश के अन्य प्रदेशों और विदेशियों के फर्जी आधार कार्ड, वोटर कार्ड और पैन कार्ड बनाने का धंधा करते थे। सालों से चल रहे इस गोरखधंधे में लगे लोगों ने कितने लोगों के फर्जी दस्तावेज बनाए इसका कोई ब्यौरा नहीं मिल सका है। लेकिन देश की सुरक्षा के साथ यह कितना बड़ा खिलवाड़ है इसका अंदाजा सहज लगाया जा सकता है महज दस हजार रूपये के लिए यह लोग सालों से इस काम को कर रहे थे लेकिन पुलिस और खुफिया एजेंसियों को इसकी भनक तक नहीं लग सकी। अभी दो—तीन दिन पहले राजधानी दून से सटे सेलाकुई में एक अवैध नशीली दवा बनाने वाली फैक्ट्री का भंडाफोड़ हुआ। लेकिन स्थानीय पुलिस प्रशासन को इसकी जानकारी तब मिली जब पंजाब की पुलिस फैक्ट्री मालिक के बेटे को गिरफ्तार करके ले गई। बाद में स्थानीय पुलिस प्रशासन फैक्ट्री को सील करने की कार्यवाही और नशीली दवाओं की बरामदगी कर अपनी पीठ वैसे ही थपथपाते दिखा जैसे कि अब ऋषिकेश में पकड़े गए कॉमन सर्विस सेंटर का भंडाफोड़ करने वालों को इनाम देने की घोषणा की गई है। सेलाकुई में नशीली दवाओं की यह फैक्ट्री बिना किसी लाइसेंस के चल रही थी लेकिन पुलिस और खुफिया एजेंसी सोती रही और जब पंजाब में कुछ नशा तस्कर पकड़े गए तो पता चला कि यह नशीली दवाई उत्तराखंड से सप्लाई की जा रही हैं। यह घटनाएं तो महज बानगी भर है। इससे पूर्व भी ऋषिकेश के एक कॉल सेंटर से एक युवक व युवती को बंधक बनाकर रखे जाने और उनका इस्तेमाल कॉल सेंटर द्वारा ठगी के लिए देश विदेशों में कॉल कराने के लिए किया जाने का खुलासा हुआ था। इसकी भी पुलिस को तब जानकारी मिल सकी जब बंधक युवक व युवती यहां से भाग निकलने में सफल हो गए और पुलिस के पास पहुंच कर उन्होंने इसकी जानकारी पुलिस को दी। अभी हाल ही में पुरोला और डोईवाला में जो धर्मांतरण के मामले प्रकाश में आए हैं वह भी स्थानीय लोगों के हंगामे के बाद ही पुलिस की जानकारी तक पहुंचे हैं। सवाल यह है कि आखिर इस सूबे की पुलिस और एलआईयू व दूसरी खुफिया एजेंसियां आखिर कर क्या रही हैं? राजधानी दून और उसके आसपास के क्षेत्रों में अनेक तरह की अनैतिक गतिविधियां चल रही हैं लेकिन पुलिस और खुफिया एजेंसियों को इनकी भनक तक नहीं लग पाती है। एक पर्यटन राज्य होने के कारण यहां और अधिक सतर्कता की जरूरत है वैसे भी राज्य की सीमाएं चीन, नेपाल और भूटान जैसे देशों से लगती हैं ऐसे में सुरक्षा के लिहाज से उतराखण्ड एक संवेदनशील राज्य है लेकिन सुरक्षा व्यवस्था को लेकर जिस तरह की लापरवाहिंया देखी जा रही है उससे पुलिस व सुरक्षा एजेंसियों पर सवाल उठने स्वाभाविक हैं।