प्राकृतिक आपदाओं से सबक लेने की जरूरत

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यूं तो हिमालयी राज्यों में प्राकृतिक आपदाएं आम है, लेकिन उत्तराखंड राज्य में बीते एक दशक से जिस तरह से आपदाओं में वृद्धि हुई है वह चिंतनीय है। हालांकि आपदाओं में वृद्धि के कारण कई हैं और बहुत हद तक यह कारण सबको ज्ञात भी हैं। लेकिन शासन—प्रशासन के स्तर पर इन आपदाओं से निपटने का अभी तक कोई ठोस इंतजाम दिखाई नहीं देता है। 2013 में आई भीषण आपदा से सबक न लिया जाना यही दर्शाता है कि सत्ता और शासन में बैठे लोग कितने बेपरवाह हैं। 2013 में आई आपदा का आकार इतना बड़ा था कि इसमें जन—धन हानि का आज तक सही—सही आकलन नहीं हो सका है। अभी भी हमारा आपदा प्रबंधन कोई खास कमाल नहीं दिखा सका है आज भी पहाड़ों की सड़कें टूटने पर कई—कई दिन का समय उन्हें ठीक करने में लग जाता है जिससे आम जन को तो परेशानी होती ही है साथ ही मानसूनी मौसम के दौरान चार धाम यात्रा करने वाले श्रद्धालु भी संकट से घिरे नजर आते हैं।
यह सच है कि हम आपदाओं को रोक नहीं सकते हैं लेकिन इन आपदाओं से होने वाली जन—धन हानि को कम जरूर किया जा सकता है। सरकार का राज्य आपदा प्रबंधन अगर चुस्त—दुरुस्त हो तो उसकी आपदा के समय केंद्र पर निर्भरता कम हो जाएगी। यह विडंबना ही है कि राज्य गठन के इतने सालों बाद भी सरकार और राज्य के लोगों को आज भी अपनी छोटी—छोटी आपदा के समय केंद्र का मुंह देखना पड़ता है। बात चाहे केदारनाथ जैसी बड़ी आपदाओं की हो या फिर कहीं छिटपुट बादल फटने और भूस्खलन की घटनाओं की, प्रदेश को एसडीआरएफ एनडीआरएफ आईटीबीपी और पुलिस पर ज्यादा निर्भर होना पड़ता है यह स्वाभाविक ही है कि आपदा के समय राहत बचाव कार्य में जितना अधिक विलंब होगा आपदा का क्षति आकार उतना अधिक वृहद होता जाएगा। राज्य के दुर्गम क्षेत्रों में आपदा राहत का काम जितना मुश्किल है उसके लिए पूर्व तैयारियां उतनी जरूरी भी है। राज्य के ऐसे हिस्सों में सूचना तंत्र, सहायता केंद्र, हवाई पटिृया,ं खाघ भंडारण केंद्रों की समुचित व्यवस्था किया जाना जरूरी है। पर्वतीय क्षेत्रों में खासतौर पर नदियाें व धार्मिक स्थलों के पास हो रहे अंधाधुंध निर्माण कार्यों, ऑल वेदर रोड व ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेल मार्ग सहित अन्य सड़कों के निर्माण जो कि विकास के लिए जरूरी है इस आपदा का एक कारण माना जा सकता है। प्राकृतिक आपदाओं पर प्रदेश सरकार को गहन चिंतन मंथन की जरूरत है सिर्फ आपदा प्रभावितों को थोड़ा सा मुआवजा और केंद्र से मदद की उम्मीद के सहारे कुछ नहीं हो सकता।

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