विकास का थ्री टी फॉर्मूला

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते कल नीति आयोग की संचालन परिषद की बैठक में जो संबोधन दिया उसमें दो अहम बातें रही। पहली बात थी संघीय ताकत। यानी संघ की क्या ताकत होती है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि एकता के अंदर जो ताकत है वह अखंड है उसका मुकाबला कोई नहीं कर सकता है और अगर यह एकता संघीय स्तर पर है तब इसकी ताकत 100 गुना अधिक हो जाती है। भारत का संघीय ढांचा इसका एक उदाहरण है। विश्व के मानचित्र में हमने सोवियत संघ और उसकी ताकत को भी देखा है। भारत में हमने राज्य के बीच अनेक मुद्दों पर टकराव व तकरार के मुद्दे भी देखे हैं तथा केंद्र के साथ राज्यों के मतभेद भी देखे हैं। अभी बीते दिनों पश्चिमी बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी। कई लोग इसे दो परस्पर विरोधी नेताओं के तौर पर भी देख रहे होंगे लेकिन राजनीतिक मुद्दों पर विरोध के बीच इस शिष्टाचार मुलाकात को संघीय व्यवस्था की सुचिता के तौर पर भी देखा जा सकता है। सभी राज्यों के प्रति केंद्र का समभाव ही देश को समग्र विकास की ओर ले जा सकता है। उनके संबोधन में विकास का जो थ्री टी फॉर्मूला पेश किया गया है वह दूसरी अहम और महत्वपूर्ण बात थी। टे्रड, टूरिज्म और टेक्नोलॉजी का यह थ्री टी फार्मूला भले ही नया न सही। लेकिन इस फार्मूले को अगर कार्य व्यवहार में धरातल पर उतारने की बात कही जा रही है तो वह जरूर नई बात है। ट्रेड का आशय उस लेन—देन से है जो आयात निर्यात के जरिए किया जाता है। हम कम से कम आयात और अधिक से अधिक निर्यात के जरिए ही अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत बना सकते हैं। यह एक साधारण सी बात है लेकिन निर्यात को तभी बढ़ाया जा सकता है जब उत्पादन को बढ़ाया जाएगा। विकास दर (ग्रोथ रेट) कि जब हम बात करते हैं तो इसका मतलब उत्पादन दर से होता है। हमारा कृषि और औघोगिक उत्पादन जितना सशक्त होगा ट्रेड भी उतना ही मजबूत होगा। टूरिज्म 21वीं सदी में किसी भी राष्ट्र की आय का सबसे सशक्त दूसरा माध्यम है। लेकिन टूरिज्म के विकास का अपना एक अलग फंडा भी है। यदि कोई देश अपने यहां टूरिस्ट को वह तमाम सुविधाएं उपलब्ध नहीं करा सकते जिसकी पर्यटकों को दरकार है या जो पर्यटकों को आकर्षित करने वाली हैं तो टूरिज्म सेक्टर का विकास संभव नहीं है। यह ठीक है कि भारत की धरती पर प्राकृतिक सौंदर्य और सांस्कृतिक धरोहरों का एक समृद्ध खजाना है लेकिन उस तक पहुंचने का रास्ता सरल नहीं है सुरक्षित नहीं है या यात्री सुविधाएं बेहतर किस्म की नहीं है तो आप अपने टूरिज्म सेक्टर का कोई लाभ नहीं उठा सकते। रही बात टेक्नोलॉजी यानी तकनीकी विकास की, इंटरनेट के इस युग में जितनी तेजी से पूरा विश्व आगे बढ़ रहा है और सूचनाओं व तकनीक का आदान—प्रदान हो रहा है उसके साथ तालमेल बनाए रखकर ही कोई देश विकास का सफर तय कर सकता है। लेकिन आपके राष्ट्र की तकनीकी क्षमता क्या है यह भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। आने वाला समय भारत का होगा अगर आप यह सपना देख रहे हैं तो उसके लिए सभी क्षेत्रों में नियोजित व संतुलित विकास जरूरी है।

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