धामी वापस लेंगे देवस्थानम बोर्ड का फैसला!

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तीर्थ पुरोहितों ने सरकार पर बनाया दबाव
22 नवंबर को तीर्थ पुरोहितों की बैठक
आगामी सप्ताह फैसले के लिए होगा अहम

देहरादून। केंद्र सरकार द्वारा तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा के बाद अब राज्य की धामी सरकार पर भी देवस्थानम बोर्ड को भंग करने का दबाव बढ़ गया है। तीर्थ पुरोहित चाहते हैं कि धामी सरकार भी केंद्र की तरह देवस्थानम बोर्ड को रद्द करें।
तीर्थ पुरोहितों ने अब सरकार पर दबाव बनाने के लिए अपना आंदोलन तेज करने का निर्णय लिया है तथा वह 22 नवंबर को देहरादून में महापंचायत की बैठक करने जा रहे हैं। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने तीर्थ पुरोहितों के साथ हुई पिछली वार्ता में 30 नवंबर तक समस्या के समाधान का भरोसा दिया गया था। लेकिन तीर्थ पुरोहितों को उनके इस आश्वासन पर कोई भरोसा नहीं रहा है। जिसके कारण वह सरकार पर दबाव बनाने की रणनीति तैयार कर रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि राज्य विधानसभा का सत्र 29—30 नवंबर को गैरसैंण में आहूत होने जा रहा है, अगर सरकार इस सत्र में देवस्थानम बोर्ड को रद्द करने का प्रस्ताव नहीं लेकर आती है तो फिर देवस्थानम बोर्ड को रद्द करने के फैसले का अधर में लटकना तय है। क्योंकि सरकार का यह अंतिम विधानसभा सत्र होगा। इससे पूर्व सरकार को कैबिनेट की बैठक में इसका प्रस्ताव लाना होगा। तीर्थ पुरोहितों की सोच है कि सरकार ने अगर इस सप्ताह में देवस्थानम बोर्ड पर कोई फैसला नहीं लिया तो फिर इस सरकार के वर्तमान कार्यकाल में कुछ नहीं हो सकेगा।
भले ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी इस मुद्दे को लेकर तीर्थ पुरोहितों को यह भरोसा दिलाते रहे हैं कि उनके हितों का पूरा ख्याल रखा जाएगा और इसका सर्व सम्मत समाधान निकाला जाएगा। लेकिन समाधान कब निकाला जाएगा? इसका कुछ पता नहीं है।
सवाल यह है कि क्या केंद्र सरकार की तरह धामी सरकार भी देवस्थानम बोर्ड को रद्द करने जैसा कोई फैसला ले सकती है? या फिर सरकार व मुख्यमंत्री धामी राज्य में चुनाव आचार संहिता लागू होने का इंतजार कर रहे हैं जिसके बाद वह यह कह सके कि वह देवस्थानम बोर्ड पर फैसला लेना तो चाहते थे या देवस्थानम बोर्ड को रद्द करना तो चाहते थे लेकिन चुनाव आचार संहिता लागू होने के कारण नहीं कर सके। सीएम धामी इस बात को भी जानते हैं कि अगर उन्होंने देवस्थानम बोर्ड पर लाए गए एक्ट को रद्द नहीं किया तो इसका चुनाव पर क्या प्रभाव पड़ने वाला है? पीएम के केदारनाथ दौरे से पूर्व तीर्थ पुरोहितों की नाराजगी की एक झलक वह देख भी चुके हैं देखना यह है कि अब सरकार क्या फैसला लेती है।

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