देवभूमि में फिर भाजपा सरकार

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सभी दलों के सीएम प्रत्याशी चुनाव हारे
आम आदमी पार्टी का नहीं खुला खाता
भाजपा को 48 व कांग्रेस को 18 सीटें मिली

देहरादून। विधानसभा चुनाव में लगातार दूसरी बार जीत हासिल कर भाजपा ने उत्तराखंड की राजनीति में नया इतिहास लिख दिया है। आज आए चुनाव परिणामों में भाजपा ने 70 में से 48 सीटें जीत कर सत्ता पर बने रहने का अधिकार हासिल कर लिया है। वही सत्ता में वापसी का सपना संजोए बैठी कांग्रेस को एक बार फिर तगड़ा झटका लगा है, जहां उसके मुख्य सेनानायक चुनाव हार गए वही वह 20 सीटों से नीचे ही सिमट कर रह गई। वही आम आदमी पार्टी जिसने स्वयं को तीसरे विकल्प के रूप में पेश किया था अपना खाता भी नहीं खोल सकी। वहीं बसपा का भी स्कोर शुन्य रहा।
उत्तराखंड के चुनाव जिन्हें हमेशा ही दूसरे राज्यों के चुनावों से अलग समझा जाता है और चुनाव परिणाम भी चौंकाने वाले रहते हैं ठीक वैसे ही इस बार भी इस चुनाव में सीएम पद के तीन उम्मीदवारों को हार का मुंह देखना पड़ा। पूर्व सीएम हरीश रावत जो कांग्रेस के सबसे बड़े नेता के रूप में देखे जा रहे थे तथा स्वयं को सीएम का चेहरा मानते थे चुनाव हार गए, वही सीएम पुष्कर सिंह धामी और आप का सीएम चेहरा रहे कर्नल कोठियाल को भी हार का मुंह देखना पड़ा। भाजपा से निष्कासित किए गए डॉ हरक सिंह की पुत्रवधू को कांग्रेस ने कोटद्वार से चुनाव मैदान में उतारा था वह अनुकृति रावत भी चुनाव हार गई।
कांग्रेस छोड़कर एंन चुनावी दौर में भाजपा का दामन थामने वाले कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय जिन्हें भाजपा ने टिहरी से चुनाव मैदान में उतारा था जीतने में सफल रहे। हालांकि उनका दिनेश धनै के साथ अंत तक कांटे का मुकाबला रहा लेकिन वह आठ सौ के करीब वोटों से जीत दर्ज करने में सफल रहे। हरिद्वार सीट से लगातार चुनाव जीतते आ रहे मदन कौशिक को इस बार कांग्रेस प्रत्याशी ने बड़ी चुनौती पेश की लेकिन मदन कौशिक ने आखिरकार इस कड़े मुकाबले में बाजी मार ली। कोटद्वार से भाजपा द्वारा चुनाव मैदान में उतारी गई रितु खंडूरी सीट बदलने के बावजूद भी जीत दर्ज करने में सफल रही और वहीं भाजपा सरकार में मंत्री रहे सुबोध उनियाल भी उतार—चढ़ाव के बीच जीत हासिल करने में सफल रहे तथा रेखा आर्य भी एक बार फिर जीत दर्ज करने में सफल रही।
पूर्व सीएम हरीश रावत को रामनगर से टिकट दिए जाने के विरोध के कारण सल्ट विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में उतारे गए रणजीत सिंह रावत को भी इस बार हार का सामना करना पड़ा है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और नेता विपक्ष रहे प्रीतम सिंह जहां चकराता सीट पर अपना कब्जा बरकरार रखने में सफल रहे वहीं मसूरी विधानसभा सीट पर गणेश जोशी व राजपुर सीट पर खजान दास व रायपुर सीट पर उमेश शर्मा द्वारा अपना कब्जा बरकरार रखने में सफल रहे हैं। इस बार राज्य में भले ही तीन निर्दलीय प्रत्याशियों भी जीत दर्ज करने में सफल रहे हो लेकिन भाजपा को मिले प्रचंड बहुमत के कारण सरकार में उनकी भूमिका शुन्य हो गई है।

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