कोरोना से फिर दहशत

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भले ही कोरोना की तीसरी लहर के बारे में लोगों को यह पता नहीं चल सका कि वह कब आई और कब चली गई लेकिन दूसरी लहर के दौरान कोरोना की जो भयावह तस्वीर देश और प्रदेश के लोगों ने देखी थी उसकी यादें आज भी सिहरन पैदा कर देती है। एक बार फिर कोरोना के मामले में जो वृद्धि देखी जा रही है वह खतरे की घंटी है। उत्तराखंड की राजधानी दून के चार बड़े स्कूलों में छात्र—छात्राओं और अध्यापकों के कोरोना संक्रमित मिलने से स्वास्थ्य महकमे में हड़कंप मचा हुआ है। हमें अच्छी तरह से याद है कि हरिद्वार महाकुंभ के दौरान बरती गई लापरवाही की कितनी बड़ी कीमत उत्तराखंड के लोगों को चुकानी पड़ी थी। राज्य में 3 मई से चार धाम यात्रा शुरू होने जा रही है जिसमें लाखों लोग रोज देश—विदेश से आएंगे उधर केंद्रीय माध्यमिक बोर्ड परीक्षाएं भी आज से शुरू हो चुकी हैं इससे पहले दून के चार बड़े स्कूलों में कोरोना मरीजों के मिलने से परीक्षार्थियों में भय होना स्वाभाविक है। भले ही इन स्कूलों में अब सुरक्षा प्रबंध कड़े कर दिए गए हो लेकिन क्या इस डर के माहौल में बच्चे ठीक से अपनी परीक्षाएं दे पाएंगे? यह एक अहम सवाल है। स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत ने आज कोरोना की दस्तक के मद्देनजर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक करने जा रहे हैं। खास बात यह है कि वैज्ञानिकों द्वारा अब ओनीक्राम वैरीअंट के जिस नये वैरिंयट की बात की जा रही है वह ओनीक्राम से दो गुना अधिक तेजी से फैलने वाला बताया जा रहा है ऐसे में सतर्कता अति आवश्यक है। तीसरी लहर के बाद लोगों ने यह मान लिया था कि कोरोना अब जा चुका है। यही कारण है कि शासन प्रशासन स्तर पर सभी तरह की पाबंदियों को हटा लिया गया था। यहां तक कि लोगों ने मास्क पहनना तक बंद कर दिया था। स्कूल—कॉलेज, बाजार सभी कुछ सामान्य ढंग से शुरू हो गए थे लेकिन जिस तरह तमाम जगहों पर कोरोना के मामले सामने आने लगे हैं उन्हें देखकर लगता है कि यह भूल फिर एक बड़ी गलती साबित हो सकती है। और तो और राज्य के तमाम अस्पतालों में कोविड वार्डो को समाप्त कर दिया गया था डीआरडीओ द्वारा हल्द्वानी में कोरोना काल में 300 बेड का अत्याधुनिक जो कोविड अस्पताल बनाया गया था उसे भी खत्म कर दिया गया था लेकिन अब इसे फिर शुरू करने का काम हो रहा है। अभी बीते दिनों दिल्ली गाजियाबाद के कुछ स्कूलों में भी कोरोना के मामले सामने आये थे जिसके बाद दिल्ली एनसीआर व लखनऊ में मास्क को अनिवार्य कर दिया गया था। सरकार को चाहिए कि वह संभावित खतरे के मद्देनजर उत्तराखंड में फिर नयी एसओपी लाए और उसका सख्ती से पालन सुनिश्चित किया जाए। क्योंकि मई और जून के अंत तक कोरोना की नई लहर के पीक पर पहुंचने की संभावनाएं जताई जा रही हैं।

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