कांवड़ यात्रा पर विवाद का साया

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  • ढाबो, होटलों व रेड़ी—ठेली वालों को नाम का बोर्ड लगाने का फरमान
  • यूपी की तर्ज पर उत्तराखण्ड में भी लागू
  • विपक्ष व सरकार के अंदर भी विरोध

देहरादून। उत्तरप्रदेश के बाद उत्तराखण्ड सरकार द्वारा भी कांवड़ यात्रा मार्गो पर होटल—ढाबे व रेहड़ी—ठेली लगाने वालों के लिए संचालक का नाम—पता लिखने के साथ रेट लिस्ट लगाना जरूरी कर दिया गया है। हरिद्वार जिला प्रशासन द्वारा इस पर अमल करते हुए श्यामपुर क्षेत्र में 13 ढाबे व होटल वालों के चालान भी कर दिये गये है।
यूपी सरकार द्वारा दिये गये इस आदेश के बाद मुजफ्फरनगर, मेरठ से लेकर हरिद्वार यात्रा मार्गो पर ढाबे—होटल तथा अन्य कारोबार करने वाले रेहड़ी—ठेली वालो ने पुलिस के कहने पर अपनी पहचान वाले बैनर लगा तो लिये जरूर गये है लेकिन वह इस फैसले का विरोध भी यह करते हुए कह रहे है कि यह मुसलमानों को काम धंधा न करने देने की एक कोशिश हो रही है कि मुसलमानों की दुकानों से सामान न खरीदें। ऐसे में इन छोटे दुकानदार व व्यवसायियों का नुकसान होना स्वाभाविक है। उनका यह भी कहना है कि अगर मुसलमानों को काम भी नहीं करने दिया जायेगा तो वह कहंा जायेगें।
उधर एसएसपी हरिद्वार का कहना है कि पहचान न होने के कारण कई बार कांवड़ियों व दुकानदारों के बीच विवाद की स्थिति पैदा हो जाती थी उससे बचने के लिए ऐसा किया जा रहा है। उधर इस मामलें में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेन्द्र भट्ट का कहना है कि कानून व्यवस्था को बनाये रखने के लिए की जाने वाली यह पहल पूरे प्रदेश में लागू होनी चाहिए। यह सरकार का उचित कदम है। वहीं कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने भी सरकार के इस फैसले का स्वागत यह कहते हुए कहा कि लेकिन इससे किसी भी जाति धर्म के लोगों के हित प्रभावित नहीं होने चाहिए।
खास बात यह है कि उत्तरप्रदेश और उत्तराखण्ड में लागू की जाने वाली इस व्यवस्था को लेकर विपक्षी दलों के नेताओं द्वारा तो साम्प्रदायिक और धार्मिक आधार पर विभाजनकारी ही बताया जा रहा है। खास बात यह है कि इसे लेकर भाजपा और एनडीए घटक दलों द्वारा भी इसको गलत बताकर इसको वापस लेने की बात कही जा रही है। भाजपा नेता मुख्तार अब्बास नकवी का कहना है कि यह अधिकारियों द्वारा हड़बड़ी में गड़बड़ी वाला फैसला है और इससे साम्प्रदायिकता को हवा मिलेगी। उधर किसी यात्री ने भी सरकार के इस फैसले को गलत बताते हुए इसे वापस लेने की मांग की है और कहा है कि इससे साम्प्रदायिक तनाव बढ़ेगा। उधर मोदी सरकार के सहयोगी आरएलडी के रामाशीश चौधरी का कहना है कि साम्प्रदायिकता को बढ़ावा देने वाले इस कदम को तुरन्त वापस लिया जाना चाहिए। इस मुद्दे को लेकर जिस तरह का विरोध सरकार के अंदर व बाहर से होता दिख रहा है उस किसी भी स्थिति में न तो राजनीति के लिए और न समाज के लिए हितकर माना जा रहा है।

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