चारधाम यात्रियों की मौतों पर बोले सीएम धामी: पुरानी बीमारियों से हुई मौतें

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भगदड़ से नहीं हुई एक भी मौत

देहरादून। चार धाम यात्रा की अव्यवस्थाओं की खबरों से विचलित मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आज सफाई देते हुए कहा कि यात्रा के दौरान एक भी मौत भगदड़ के कारण नहीं हुई है उन्होंने 21 मौतों की बात स्वीकार करते हुए कहा कि जिन लोगों की मौतें हुई है वह पहले से दूसरी बीमारियों से ग्रसित थे।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि यात्रा की व्यवस्थाओं को लेकर वायरल हुए कुछ वीडियो की वजह से इस तरह का संदेश गया है कि चारधाम यात्रा की व्यवस्थाएं ठीक नहीं है। उन्होंने इन वायरल वीडियो को फर्जी बताते हुए कहा कि कैपेसिटी से अधिक यात्रियों के पहुंचने के कारण कुछ समस्याएं पैदा हुई है। उन्होंने कहा कि हम स्थिति की नए सिरे से समीक्षा कर रहे हैं। हमने अब सभी धामों में एक दिन में जाने वाले यात्रियों की सीमा निर्धारित कर दी है। मुख्यमंत्री ने चार धाम यात्रा में अधिक संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ होने के कारण बुजुर्ग और सेहत से कमजोर लोगों को अभी यात्रा पर न आने की भी अपील की है।
मुख्यमंत्री का कहना है कि यात्रा के नियमों का कड़ाई से पालन किया जाए तथा यात्रा के दौरान अतिरिक्त सावधानी बरतने की जरूरत है। मुख्यमंत्री ने कहा कि दो साल यात्रा बंद रहने के कारण अब सभी चाहते हैं कि महादेव के दर्शन करने आए, यही कारण है कि धामों में रिकॉर्ड लोग पहुंच रहे हैं। उन्होंने माना कि केदारधाम में 12 हजार लोगों की व्यवस्था है। लेकिन 8 मई को कपाट खुलने के समय 20 हजार लोग यहां पहुंच गए अब शुन्य तापमान में अगर खुले में रहना पड़े तो बीमार होना ही है। उन्होंने कहा कि केदारधाम में हमने वीआईपी दर्शन पर भी रोक लगा दी है अब वीआईपी भी सामान्य जन की तरह ही दर्शन कर सकेंगे। जिससे श्रद्धालुओं को परेशानी न हो।
उन्होंने अपनी सफाई में कहा कि हमारी पुलिस और अधिकारी सब व्यवस्थाएं बनाने में लगे हुए हैं हम दो माह पहले से सारी व्यवस्थाओं पर नजर रखे हुए हैं। मुख्यमंत्री धामी भले ही अपनी सफाई में बहुत सारे बयान दे रहे हों, लेकिन अगर धामों में कैपेसिटी के अनुरूप ही श्रद्धालु पहुंचे यह व्यवस्था किसे करनी थी? भले ही धामों में भगदड़ से कोई मौत न हुई हो लेकिन मौतें हुई हैं यह सच है। सवाल यह है कि बीमार लोग यात्रा पर न जाएं उनका हेल्थ चेकअप हो अथवा बीमार होने पर उन्हें उचित इलाज मिले यह जिम्मेवारी भी सरकार की ही थी। प्रशासन ने बीमार लोगों को क्यों जाने दिया। स्वास्थ्य निदेशक इन मौतों पर कहती हैं कि अस्पताल में एक भी मौत नहीं हुई। तब क्या स्वास्थ्य महकमा यात्रा के दौरान हुई इन मौतों को मौत नहीं मानता है सिर्फ अस्पताल में होने वाली मौतें ही मौत होती हैं। या फिर भगदड़ से मौतें होती तो उन्हें ही यात्रियों की मौत माना जाए।
केंद्र सरकार को अगर धामों में आईटीबीपी और एनडीआरएफ को भेजना पड़ा तो क्यों भेजना पड़ा? अगर व्यवस्था ठीक होती तो इसकी क्या जरूरत थी? मुख्यमंत्री अपनी किसी सफाई से यह सिद्ध नहीं कर सकते कि व्यवस्थाओं में कमी नहीं है।

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