भर्ती घोटालों के पर्दाफाश से बौखलाए नेता

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अपना नाम आने पर डॉ निशंक ने कहीं कानूनी लड़ाई लड़ने की बात

देहरादून। भर्ती घोटालों की जांच जैसे—जैसे आगे बढ़ रही है नेताओं की बौखलाहट भी बढ़ती जा रही है। क्योंकि इन घोटालों की जांच में नित्य नए—नए खुलासे हो रहे हैं तथा सूबे के दोनों ही प्रमुख राजनीतिक दल भाजपा और कांग्रेस की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। वहीं तमाम बड़े नेताओं के नाम इन घोटालों की संलिप्तता में सामने आते जा रहे हैं।
किस—किस नेताओं के बच्चों और सगे संबंधियों ने बैक डोर के जरिए नौकरी पाई। किस—किस नेता ने भर्तियों के लिए सिफारिश चिट्ठियां लिखी? अब सभी लपेटे में आ चुके हैं। भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस का दावा करने वाले नेता और दलों के लिए भर्तियों के घोटाले अब उनके गले की फांस बन चुके हैं उनके खिलाफ शासन प्रशासन क्या कार्यवाही करेगा? सवाल यही नहीं है सवाल यह भी है कि पार्टी ऐसे नेताओं पर अगर अनुशासन का चाबुक चलाती है तो वह कहीं के भी नहीं रहेंगे। इसका डर भी उन्हें सता रहा है। उधर यूकेएसएसएससी भर्ती घोटाले और पेपर लीक मामले में भी जांच की आग कहीं उन तक तो नहीं पहुंच जाएगी इसे लेकर भी वह परेशान है।
पूर्व मुख्यमंत्री डॉ निशंक ने आज इस बात पर कड़ी आपत्ति जाहिर की है कि सोशल मीडिया में उनका नाम भी वायरल हो रहा है कि उन्होंने भी अपने रिश्तेदारों को नौकरी दिलाई। डॉ निशंक का कहना है कि किसी को यह अधिकार कैसे हो सकता है कि वह किसी का नाम भर्ती घोटालों से जोड़ दें। उन्होंने इसके खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ने का भी ऐलान किया है। किस नेता की संलिप्तता है और किसकी नहीं अब जब जांच बैठ गई है तो दूध का दूध और पानी का पानी हो ही जाएगा। लेकिन जिन दर्जनों नेताओं के नाम उछाले जा रहे हैं तथा जो भी विधानसभा अध्यक्ष रहे हैं सभी की धड़कनें बढ़ी हुई है। क्योंकि सभी के कार्यकाल में थोड़ी बहुत भर्तियां हुई है।


सिटिंग जज से कराये जांचः आर्य


देहरादून। नेता विपक्ष व पूर्व विधानसभा अध्यक्ष यशपाल आर्य का कहना है कि समिति द्वारा इस मामले की निष्पक्ष जांच संभव नहीं है इसलिए इसकी जांच हाईकोर्ट के सिटिंग जज से कराई जानी चाहिए। साथ ही उन्होंने कहा कि वह भी विधानसभा अध्यक्ष रहे हैं। 2012 के बाद की ही नहीं उनके कार्यकाल में हुई नियुक्तियों में भी जांच कराएं उन्होंने कहा कि किसने क्या किया है वह सामने आना ही चाहिए।

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