भाजपा—कांग्रेस के सामने कड़ी चुनौती

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टिकट के दावेदारों की है लम्बी लाईन
बगावती सुर खड़ी कर सकते हैं परेशानियां

देहरादून। चुनाव आचार संहिता लागू होने के बाद भाजपा व कांग्रेस में विधायक बनने की चाह रखने वालों की लम्बी लाईन लगनी शुरू हो गयी है जहां गढवाल मण्डल में दावेदारों ने पार्टी पदाधिाकारियों की नींद उडा रखी है तो वहीं मौजूदा विधायक भी अपनी जीत को सुनिश्चित मानकर नहीं चल रहे हैं। इन बगावती तेवरों को देखते हुए दोनों दलों के हाईकमान के पसीने छूटने लगे हैं।
उत्तराखण्ड राज्य निर्माण के बाद से ही प्रदेश में दो दलों की ही सरकार बनी है। दोनों की राष्ट्रीय दल भारतीय जनता पार्टी व कांग्रेस ने आपस में हाथ आजमाये है इसके अलावा कोई भी दल इनके सामने खडा नहीं हो सका। यहां तक कि स्थानीय दल उत्तराखण्ड क्रांति दल भी इनके सामने नहीं टिक पाया। इस बार जब भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी तो जनता ने इनसे काफी उम्मीदें बांध रखी थी लेकिन शुरू के सरकार के मुखिया जनता की कसौटी पर खरे नहीं उतरे तो पार्टी हाईकमान ने सत्ता परिवर्तन करते हुए तीरथ सिंह रावत को सत्ता सौंपी लेकिन वह भी कुछ खास नहीं कर सके तो हाईकमान ने युवा हाथों में प्रदेश की कमान सौंपी तो पुष्कर सिंह धामी ने सत्ता की कमान सम्भालते ही कुछ ऐसे निर्णय लिये जिससे जनता में उम्मीद की किरण जागी कि अब प्रदेश का कुछ भला हो सकता है तो वहीं पार्टी कार्यकर्ता भी अति उत्साहित दिखायी दिये और उन्होंने प्रदेश की सडकों पर यह नारे लगाने शुरू कर दिये कि अबकी बार 60 पार। अब जैसे ही चुनाव आयोग द्वारा चुनाव की घोषणा कर आचार संहिता प्रदेश में लगा दी तो दोनों दलों में विधाायक बनने के दावेदारों की लाईन लगनी शुरू कर दी। दावेदारों की लाईन को देखकर दोनों दलों के पार्टी हाईकमान के भी पसीने निकलने शुरू हो गये है। तराई की सीटों पर निगाह डाले तो मात्र रानीखेत से भाजपा से 13 लोगों ने अपनी दावेदारी पेश की है तो वहीं जागेश्वर से 9 व अल्मोडा से 6 लोगों ने अपनी दावेदारी पेश कर दी है। इसके साथ ही कांग्रेस के उत्साहित कार्यकर्ता भी पीछे नहीं है इसमें सितारगंज से 11 व गदरपुर से 11 लोगों ने अपनी दावेदारी पेश कर दी है। जबकि यह हालात तो तराई क्षेत्र की है इसके अलावा हरिद्वार, देहरादून में तो कई नेता अपने आपको बिना लडे ही विधायक मानकर चल रहा है। यहां पर भी मात्र कैण्ट विधानसभा के लिए दोनों दलों से मारामारी शुरू हो रखी है। क्योंकि 8 बार के विधायक हरबंस कपूर की मृत्यु के बाद सभी अपनी दावेदारी पेश कर रहे है। यहां पार्टी हाईकमान के लिए काफी दिक्कत आ सकती है कि किसको टिकट दें। जहां एक ओर टिकट के दावेदारों की लम्बी लाईन लगनी शुरू हो गयी है तो इनमें से कई बगावत भी कर सकते है और पार्टी से बगावती सुर निकलने शुरू हो जायेंगे कोई भी अपनी जीत को सुनिश्चित मानकर नहीं चल सकता है। जिसके चलते भाजपा का नारा अबकी बार 60 पार भी फेल हो सकता है।

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